Wednesday, April 28, 2010

लड़ाई का बदला चुदायी आज बीना देवी करीब ४२ साल की हो गयी हैं .उनके पति की जब मौत हुई थी तो उनकी इकलौती बेटी सिर्फ आठ साल की थी। बीना देवी ने अपनी लड़की स्वीटी को लडके की तरह पाला .आज स्वीटी २३ साल की हो गयी है.बीना के पति एक स्थानीय पार्टी के नेता थे .अपनी मौतके बाद वह इतनी संपत्ति छोड़ गए थे की बीना अपना और स्वीटी का खर्चा आराम से चला रही थी। इसके बीना एक एन जी ओ और महिलाओं के लिए एक हेल्थ सेण्टर भी चला थी .जिस से भी अच्छी कमाई हो जाती थी, नेता की पत्नी होने के कारण बीना के बड़े बड़े अफसरों,पुलिस वालों और नेताओं से अच्छी पहचान थी.बीना अपनी हेल्थ पर पूरा ध्यान रखती थी। इसलिए ४२ साल की होने के बावजूद वह सिर्फ २८ साल की लाती थी.बीना ने स्वीटी को भी जूडो कराते की ट्रेनिंग दे रखी थी.बीना चाहती थीकि उसकी लड़की स्वीटी एक लडके की तरह निडर और हिम्मत वाली बने। बीना रोज सवेरे सात बजे अपने बंगले के सामने वाले मैदान में जोगिंग और टहलने के लिए जाती थी ,और साथमे स्वीटी को भी साथ ले जाती थी।बीना देवी जिस से भी मिल कर बात करती तो स्वीटी की बढ़ चढ़ कर तारीफ़ करती थी। बीना कहती की यह मेरी बेटी नहीं ,मेरा लड़का है। अगर कहीं झगड़े की नौबत आयेगी ,तो स्वीटी एकसाथ चार चार लड़कों से निपट लेगी। और चारों पर भारी पड़ेगी। ऎसी बातें सुन सुन कर ,स्वीटी भी लोगों दे बेकार बिना बात पर पंगे लिया करती थी। लेकिन लोग बीना के पुलिस से संबंधों के कारण चुप रह जाते थे। वैसे तो बीना खुद को काफी शरीफ दिखाती थी ,लेकिन लोग जानते थे की बीना कई लोगों के लंड ले चुकी है.एक औरत को जवान बने रहने के लिए रोज चुदाई करवाना जरूरी है.लंड का पानी डाले बिना जवानी का पौधा मुरझा जाता है। एक दिन शाम के समय बीना के घर के सामने वाले मैदान में एक पेड़ के पास चार लडके पेशाब कर रहे थे.और लम्बे लम्बे लंड निकाल कर पेशाब झटक रहे थे .उस समय स्वीटी अपने मकान के वरांडे में थी पाहिले तो उसे बड़े बड़े लंड देख कर मजा आया,और वह लड़कों के लंड गौर से देखती रही। लेकिन जब लड़के जाने की तयारी करने लगे ,तो अचानक स्वीटी ने अपनी मम्मी को चिला कर बुलाया ,जो उस समय घर में ही थी.जैसे ही वीना पास आयी तो ,स्वीटी बोली की देखो मम्मी ,यह लडके मेरी तरफ अपने लंड दिखा कर इशारे कर रहे थे.बीना स्वीटी को अपने साथ उन लड़कों के करीब गयी और गालियाँ देने लगी। बीना बोली ,मादरचोदो अगर तुम्हारे लंड में इतनी जवानी उबल रही है तो अपनी माँ बहिन की चूतों में घुसा दो.अगर किसी ने मेरी लड़की तरफ लंड निकाला तो उसी लंड को पकड़ कर तुम्हारी गांड में घुसा देंगे.बेचारे लडके यह सुन कर सन्न रह गए .फिर भी बीना का का मन नहीं माना। उसने स्वीटी से कहा,स्वीटी उठ ,लगा एक एक तमाचा इन हरामियों के गालों पर.फ़ौरन स्वीटी ने सबके गालों पर ऐसा झन्नाटेदार तमाचा लगाया ,की लड़कों के गाल लाल हो गए। धीमे धीमे काफी भीड़ हो गयी.इसलिए और झगडा होने के भय से लड़कों ने खिसकने में ही अपनी भलाई समझी। लेकिन जाते जाते वह स्वीटी और बीना को गुस्से की नजर से घूरते रहे। घर जाकर लड़कों ने अपमान का बदला लेनेकी योजना बनाई.उनके पड़ोस में एक आवारा टैप लड़का गुड्डू रहता था। उसके साथ मिलकर कुल चार लड़के इस प्लान में शामिल होगये .उन्हें पता था की रात को बीना और स्वीटी अकेले सोते हैं। नेता की पत्नी होने से बीना रात को नौ बजे ही दोनो नौकरानियों की छुट्टी कर देती थी.रात को भी चौकीदार उस बंगले पर सिर्फ एक बार गश्त लगाता था। रात को जब बीना और स्वीटी सो चुके तो गुड्डू एक रस्सी लाया उस से हुक लगा कर पाहिले गुड्डू फिर उमेश ,विजय और मनोज चाट पर चढ़ गए.फिर ,खिड़की खोलकर बीना के बेडरूम में घुस गए .एक बेद पर बीना और दूसरे पर स्वीटी सो रही थे। रात को कमरे में नाईट लेम्प जल रहा था,बीना मेक्सी और स्वीटी शलवार पहिने थी.गुड्डू ने पहिले चुपचाप बीना की मेक्सी निकाल कर ऊपर खिसका दी,फिर स्वीटी की शलवार उतार दी.दोनों के शरीर पर सिर्फ पेंटी रह गयी.बीना और स्वीटी की चूतें और ताने हुए बोबे देख कर सबके लंड सांप की तरह फनफना रहे थे गुड्डू ने आराम आराम से बीना की चड्डी भी नीची सरका दी। लेकिन बीना को पता नही चला.बीना चूत से मस्त खुश्बू आ रही थी और चूत से रस जैसा कुछलगा हुआ था। शायद बीना कही किसी से चुदवा कर आयी थी .इसीलिए बेखबरी से सो रही थी। उमेश से रहा नही गया .उसने एक उंगली बीना की चूत में घुसा दी और उसकी चूचियां दबाने लगा.बीना को पाहिले तो मजा आया,उसे सपने में लगा की वह किसी अपने यार का लंड चूत में ले रही है,जब मनोज ने बीना की गांड में भी उंगली डाली तो बीना जाग गयी.और चौंक कर पलंग पर बैठ गयी.देखा की सामने चार चार लंड तय्यार हैं। डरकर बीना ने पूछा की तुम लोग कौन हो और क्या चाहते हो.गुड्डू बोला साली देख कर भी पूछ रही है . सामने लंड और हमारे सामने चूतें हैं.क्या हम भजन करने आये हैं.हम आज तेरी और तेरी बेटी को अपने लंड का स्वाद देने आये हैं.अगर हमार्र बात नहीं मानी तो यहीं तुम्हारी लाश छोड़ कर चले जायेंगे। बात मान जाओगी तो तुम्हें मजा आयेगा.जब माँ चुदवायेगी तो बेटी को और मजा आयेगा.तुम फ़िक्र नहीं करो हम लोग अनुभवी चुदक्कड हैं.तुम्हें हमारे लंड जरूर पसंद आयेंगे ,फिर तुम लोग हमसे हमेशा चुदवाती रहोगी। इसलिए हम पाहिले तुम्हें अपने तरीके चुदाई करेंगे .एक तुम्हारे मुंह में एक गांड में और एक चूत में लंड डालेगा। तुम भी याद करोगी इस नयी सुहागरात को.तब तक एक आदमी स्वीटी की चूत गर्म करेगा। सवेरे तक हमारा कार्यक्रम चलेगा.अगर आप राजीखुशी नहीं मानेगी तो हम मजबूर होकर जबरदस्ती करेंगे। हम तो अपने लंड का पानी तुम्हारी चूतों और गांडों में डाले बिना नही मानें गे.आप फ़ौरन सारे कपडे उतार दे। अब हमारे लंड को सब्र नहीं हो रहा है बीना तुरत नंगी हो गयी सारे लड़के यह देख कर खुश हो गए की बीना बड़ी जल्दी आसानी से चुदवाने को राजी हो गयी.तीनों ने अपनी अपनी पोजीशन बना ली. मनोज को गांड मारने का बड़ा शौक था इसलिए उसने अपना लंड बीना की छूट में डालने के लिए अपने ऊपर चढ़ा लिया. ताकि नीचे से उमेश उसकी छूट में लंड घुसा सके.बीना विजय का लंड चूसने लगी.उसे पहली बार स्वर्ग जैसा आनंद आ रहा था, वह गपागप लंड लेने लगी.मनोज का लंड लंबा होने के कारण बीना की गांड में दर्द होने लगा .न\वह ओय ओय उफ़ उफ़ अरे अरे करने लगी.मनोज बोला आप चिल्लाना बंद करके मेरे लंड का कमाल देखें..आज मैनापकी गांड को दरवाजा बना दूँगा. आप हमेशा मेरे लंड को याद रखेंगी. विजय ने बीना की चूतमें पेशाब कर दी. जिसे बीना स्वाद लेकर पी गयीफिर तीनों ने बदल बदल कर बीना की चुदाई चालू कर दी.
उस समय जब स्वीटी सो रही थी तो गुड्डू ने स्वीटी की शलवार निकाल दी .स्वीटी की कुवारी बिना बाल की चूतदेख कर चारों मस्त हो रहे थे.कमरे में चुदाई की आवाजें ,फच फच फच फच गूँज रही थीं.तभी गुड्डू ने स्वीटी को उठा कर पलंग के पास खडा कर दिया जहां बीना तीन तीन लौडों से चुदवा रही थी.स्वीटी को विस्वास नहीं हो रहा रही की उसकी मम्मी इतनी चुदक्कड़है. उसका मुंह खुला का खुला रहगया उसे कुछ समझ में नईं आया .वह सिर्फ मम्मी की चूत और गांड में आदर बाहर होने वाले लम्बे लम्बे लंड देख कर ताजुब कर रही थी.और सोचने लगी अगर यही लंड मेरी चूत में डाले जायेंगे तो क्या होगा.
चुदते चुदते बीना बोली स्वीटी दरो नहीं यह लोग मेरा कुछ बी नहींबिगाड़ सकेंगे. यह लोग अच्छे लोग हैं. अपना काम कर रहे हैं.आज मुझे तुम्हारे पापा की याद आ रही है. वहतो अब नहीं हैं .लेकिन इन लोगों ने मुझे खुश कर दिया.ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं मिला.बेटा चुदाई से बड़ा कोई सुख नहीं है .औरतें तो एक लंड के लिए तरस जाती हैं .यहाँ तो घर में ही चार चार तगड़े लंड मिल गए .इस मुके का पूरा फ़ायदा लेना चाहिए .
स्वीटी बोली मम्मी मैं भी आपकी बेटी हूँ. मेंभी आपकी तरह चुदवाना चाहती हूँ.जब शादी के बाद भी चूत में लंड घुसेगा तो आज क्यों नहीं.आप ही तो कहती हैं की छू सिर्फ चुदाने के लिए बनी है .चाहे किसी का लंड हो .मजा एकसा आता है.
यह सुन कर गुड्डू बोला स्वीटी तुम खुद तय करो पहला लंड किसका लोगी. स्वीटी बोली शायद तुम्हें पता नहीं है की मेरे बारे में मम्मी ,सबसे कहती हैं की मेरी बेटी एक साथ चार चार को निपटा सकती है.इसलिए माँ तरह मई बारी बारी सबसे चुदवाउंगी. और सका लंड लूंगी.
तब तक बीना का एक राउंड हो चुका था. सबने मिल कर स्वीटी को पलंग पर गिरा लिया और .पागल की तरह चोदने लगे .जब स्वीटी की चूत फटी तो वह चीलाई. बीना बोली बेटा लंड का अपमान नहीं करो. उसे आराम से अपनी चूत और गांड में जाने दो.तभी असली में वही मजा आयेगा जो मैं ले चुकी हूँ .स्वीटी धक्के पर धक्का सहने लगी.वह मस्त होकर नीचे से अपनी चूत उछाल कर लंड अन्दर लेने लगी.

एक घने के बाद स्वीटी की चूत वीर्य से भर गयी .वीर्य बाहर रिसने लगा तो बीना सारा वीर्य चाट लिया. बीना बोली मेरी एक दिन की खुराक मिल गयी .यही है मेरी जवानी का राज.
अगर तुम लोग हमेशा मेरी इसी तरह से चुदाई करते रहोगे तो स्वीटी तुम में से जिस का लंड पसंद करेगी तो ,मैं उसी से स्वीटी की शादी करवा दूंगी.

लेकिन एक शर्त है की शादी के बाद भी तुम सब सीटी के साथ मुझे भी अपने लंड कामजा देते रहोगे. स्वीटी को उमेश का लंड पसन् आया क्योंकि उसके वीर्य से स्वीटी की चूत भर गयी थी. वह बोली मुझे भी वीर्य पीने के फायदे पता चल गए है.
उस रात तीन बार चुदाई का दौर चला. बीना और स्वीटी की चूतें और गांड सूज गयी .थी



बाद में बीना ने अपना वायदा पूरा किया.और स्वीटी कीशादी उमेश से करा दी.आज उमेश अपने उन सभी दोस्तों के साथ स्वीटी की जमकर चुदाई कर रहा है. स्वीटी एक तरह से सबकी सम्मिलित पत्नी बन कर रह रही है .उसे लंड की कोई कमी नही रही .

कभी कबी जब बीना की चूतगर्म हो जाती है तो वह इन्हीं लोगू को बुला कर अपनी गरमी शांत कर लेती है.

Thursday, April 22, 2010

सौ लौडों से चुदवाया

मैं उन दिनों अपने चाचा जान के यहाँ वाराणसी आई हुई थी। उनके लड़का अब्दुल बड़ा ही खूबसूरत था। गोरा चिट्टा, दुबला सा, लम्बा सा, उसे देखते ही मेरा दिल उस पर आ गया था।
यूँ तो कानपुर में मुझे चोदने वाले कम नहीं थे, पर उनमें ज्यादातर तो गाण्ड मारने के शौकीन थे। गाण्ड मरवाने में मुझे अच्छा तो लगता था पर असल में तो चूत चुद जाये उसका तो कोई मुकाबला ही नहीं है ना।
अब्दुल को देख कर मुझे उससे चुदवाने की इच्छा बलवती होने लगी। अब्दुल भी मेरी हसीन जवानी पर फ़िदा तो था, पर रिश्ते में उसकी बहन जो लगती थी मैं !!!
उसे यह पता नहीं था कि कानपुर में तो कोई यह रिश्ता रखता ही नहीं था। उसे यह बात बताना जरूरी था वरना तो मुझे देख कर बस मुठ ही मार कर रह जायेगा। रात को मैं बिस्तर के अन्दर ही घुस कर उसके नाम की अंगुली चूत में घुसा कर पानी निकाल देती थी।
कहावत है ना, दिल को दिल से राहत होती है, यह बात हम में ज्यादा दिनों तक अन्दर नहीं रह पाई। एक दूसरे की नजरें आपस में लड़ती और दिल का फ़ूल खिल उठता था। नजरें आपस में आपस में सब कुछ कह जाती थी, पर दिल तड़प कर रह जाते थे।
मैं जान बूझ कर के कसी जीन्स और तंग और चिपका हुआ बनियान-नुमा टॉप सिर्फ़ उसके लिये ही पहनती थी, इसमें मेरे जिस्म की सारी गोलाईयाँ उभर कर सामने दिखने लग जाती थी। मेरी मस्त चूंचिया देख कर तो वो अपनी नजरें हटा ही नहीं पाता था। अब मैं हिम्मत करके उसे देख कर मतलब से मुसकराया करती थी।
उस बेचारे को यह नहीं पता था कि मैं उसे सिर्फ़ अपनी वासना शान्त करने के लिये काम में लाना चाहती हूँ, एक नया जिस्म, एक नया मस्त कड़क लण्ड, नई जवानी, नया अनुभव, नया सुख, नई मस्ती.... सभी को यही तो चाहिये ना।
एक दिन शाम को सभी घर वाले शादी के खाने पर गए हुए थे। मैंने सोचा- खाने का समय नौ बजे का होता है तो मैं देरी से चली जाऊंगी। पर वहाँ पर घर वालों का कार्यक्रम बदल गया, वो लोग जल्दी खाना खाने के बाद दूसरी शादी में भी हाजिरी देना चाह रहे थे। उन्होने अब्दुल को मुझे लेने घर भेज दिया।
मैं उस समय अकेलेपन का फ़ायदा उठा कर कम्प्यूटर पर अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ रही थी। किसी को आया देख कर मैंने कम्प्यूटर बन्द कर दिया और बाहर आ गई। अकेले अब्दुल को देख कर मैं चौंक गई। मन में सोचा कि शायद इसको मेरे अकेले होने का फ़ायदा उठाना है, इसलिये इसने मौका देख कर इधर आया है। मैं भी इस मौके को नहीं जाने देना चाह रही थी। मैं दिल ही दिल में इसके लिये मैं अपने आप को तैयार करने लगी।
मैं ढीला ढाला पुराना सा कुरता पहने थी और अच्छी भी नहीं लग रही थी, मुझे अपने आप पर बहुत खीज आई।
"अरे ! ऐसे ही हो अब तक, तैयार तो हो लो, जल्दी चलना है।" उसने मेरे जिस्म को ऊपर से नाचे तक देखा।
"हां, अन्दर आ जाओ, अभी तैयार हो जाती हूँ !" मैं उसे मतलब से घूरने लगी।
"मैं कुछ मदद करूं क्या, कुछ लाना हो तो ?"
"बस दरवाजा बन्द कर दो.... और कुछ नहीं !" उसने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया।
"बस, ठीक है ना.... सुनो बानो, नाराज नहीं हो तो एक बात कहूं ?" उसने हिम्मत दिखाई और मेरा दिल धक धक करने लगा।
"अरे कहो ना, भाई हो, शरमाते क्यूँ हो ?" भाई का शब्द सुनते ही उसका सारा जोश ठण्डा पड़ गया।
"नहीं बस यूँ ही, कुछ नहीं !" उसका प्यारा सा मुखड़ा लटक गया।
"अच्छा भाई नहीं दोस्त हो बस, अब कहो...."
"मैं चाहता हूँ कि बस एक बार .... बस एक बार.... मेरे गाल पर प्यार कर लो !"
"बस इतनी सी बात ...?"
मुझे लगा मौका है, बात आगे बढ़ा लो ....
मैं उसके पास गई, और उसके गाल पर एक गहरा सा चुम्मा ले लिया।
"थेंक्स.... अच्छा लगा !"
"बस एक ही....एक दो बार और कर दूँ ...." मैंने एक किस गाल पर और दूसरा होंठ पर कर दिया। इतना उसे भड़काने के लिये बहुत था।
"मुझे भी करने दो ना सिर्फ़ एक बार !" मैंने अपनी आंखे बन्द कर दी और चेहरा ऊपर कर दिया।
उसने धीरे से मेरे निचले होंठ दबा कर चूस लिये और उसके हाथ मेरी कमर पर कस गए।
उसका लम्बा किस खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। मेरे मन की कली खिल उठी। मैंने सोचा कि ये तो गया काम से, चक्कर में आ ही गया। हो सकता है शायद वो यह सोच रहा हो कि उसने मैदान मार लिया।
"अब्दुल, बस कर न, कोई आ जायेगा....हाय अब्बा.... चल छोड़ दे अब !"
"बानो, बस थोड़ा सा और.... ! ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा ना, सब घर में रहते हैं और आप ऊपर मेरे कमरे में आती ही नहीं हैं !"
"हायऽऽ बसऽऽ मेरे अरमान जाग जायेंगे, अब्दुल, बस कर !" मैंने उसे और भड़काया।
मेरा मन खुशी के मारे उछल रहा था। उसे छोड़ने का दिल बिल्कुल ही नहीं कर रहा था। हम दोनों प्यार में एक दूसरे से लिपट पड़े। वो मेरे होंठो को बेतहाशा चूमने लग गया था, जैसे सब्र का बांध टूट गया हो। उसका जिस्म मेरे जिस्म से रगड़ खा कर उत्तेजित होने लगा था। जाने कब उसके हाथ मेरे उभरे अंगों तक पहुंच गए और उसे सहलाने और दबाने लगे।
ढीले कुरते का यह फ़ायदा हुआ कि उसके हाथ मेरी नंगी चूंचियों तक सरलता से पहुंच गये और अब मुझे भरपूर मजा दे रहे थे। मेरी चूत गीली हो उठी।
"अब्दुल अब तक तू कहाँ था रे ? मुझसे दूर क्यों रहा था? हाय तुझे पा कर मुझे कितना अच्छा लग रहा है ! कब से तो मैं तुझे लाईन मार रही थी !" मैंने अपनी दिल की बात उससे कह दी।
"मैं भी कबसे आपको प्यार करता हूँ.... मैंने भी तो कितनी बार आपको देखा, पर हिम्मत नहीं होती थी, .... बानो सच तुम मेरी हो, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है !"
"हाय अब्दुल, सच में मुझे प्यार करोगे.... करो ना.... मेरे दिल की हसरत निकाल दो, प्लीज !" मुझे लग रहा था कि शादी वादी की ऐसी की तैसी, अभी टांगे चौड़ी करके उसका लण्ड घुसा लूँ।
"देर हो जायेगी बानो, रात को आ जाना ऊपर मेरे कमरे में.... मुझे भी अपनी दिल की हसरतें पूरी करनी हैं !"
"मेरे अब्दुल.... !" और एक बार फिर से हम लिपट कर चुम्मा चाटी करने लगे।
उसके लण्ड का भी बुरा हाल था और मेरी चूत तो पानी टपकाने लगी थी। प्यार और वासना की एक मिली जुली आग लगी हुई थी, जिस्म मीठी आग में झुलसने लगा था। लग रहा था कि अभी चुदवा कर सारा पानी निकाल दूँ पर मेरे रब्बा ....हाय.... अभी इस आग में मुझे थोड़ी देर और जलना था।
रात को लगभग घर लौटते लौटते साढ़े ग्यारह बज रहे थे। मेरा मन सब जगह खाली खाली सा लग रहा था, बस अब्दुल ही नजर आ रहा था। इंतजार खत्म हुआ। हम सभी कपड़े बदल कर सोने की तैयारी करने लगे ....
और मैं ....
जी हाँ, चुदने की तैयारी कर रही थी। चूत में और गाण्ड में चिकनाई लगा कर मल रही थी। चूंचियो में भी क्रीम लगा कर उसे खुशबूदार और चमकदार बना लिया था। बस एक हल्का सा नाईट गाऊन ऊपर से यूँ ही लटका लिया और समय का इन्तजार करती रही।
साढ़े बारह बजे तक जब मुझे यकीन हो गया कि अपने अपने कमरों में सब सो गये होंगे। तब मैं दबे पांव बैठक में से निकल पड़ी। पास के कमरे में सिसकारियों की आवाज से लगा कि भाभी और भैया का चुदाई का कार्यक्रम चल रहा था। आज सब औरते फ़्रेश थी, घर के काम से छुट्टी थी, सारी ताकत को चुदाई में लगा रही थी।
मैं बरामदे की सीढ़ियों से ऊपर आ गई। अब्दुल के कमरे की लाईट जली हुई थी। मैंने दरवाजा खोला तो अब्दुल तौलिया लपेटे खड़ा था। शायद अभी नहाया था, साबुन की खुशबू से मैंने अन्दाजा लगाया। मुझे ये अच्छा लगा,कि अब मैं उसके साफ़ सुथरे शरीर का पूरा आनद ले पाउंगी।
"बानो, तेरा तो अन्दर का सब कुछ दिख रहा है, बड़ी मस्त लग रही है तू !"
"तू भी तो मस्त लग रहा है, ये सिर्फ़ तौलिया ही है ना या अन्दर और भी है कुछ?" मैंने उसका तौलिया खींच लिया।
वो नंगा हो गया। उसका कड़क लण्ड सीधा खड़ा था। मेरा मन डोल उठा चुदने के लिये।
"चल आ मस्ती करें ! शावर के नीचे पानी में चलें, गीली गीली में करने से मजा आयेगा !"
मैंने देखा उसकी सांसे उखड़ने लगी थी। उसकी धड़कनें बढ़ गई थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और जा कर शावर के नीचे खड़ी हो गई। मैंने उसका लण्ड पकड़ा और नीचे बैठ गई। उसके लौड़े को हाथ से सहलाने लगी। उसकी सुपाड़े की स्किन फ़टी हुई थी, मतलब वो पूरा मर्द था, किसी को चोद चुका था।
"किसी के साथ किया था.... बता ना !" मैंने लण्ड मुँह में लेते हुए कहा।
"नहीं अभी तक तो नहीं .... पर ये क्या कर रही हो, हटो !" उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया। शायद उसे ये अच्छा नहीं लगा।
"क्यूँ क्या हुआ....मजा नहीं आ रहा है क्या ?"
"बस ये नहीं करो...." मुझे बाहों से पकड़ कर उठा लिया, और हम पानी की बौछार में फिर से लिपट पड़े।
"अच्छा पर तुमने कुछ तो किया है ना, अन्दर तो घुसाया ही है तुमने?"
"बानो, तुमने तो पकड़ लिया मुझे ! पर सच में ! वो यूसुफ़ है ना वो बड़ा खराब है !"
"अच्छा, क्या गाण्ड मरवाई थी उसने ?" मैंने उसे और खोलने की कोशिश की।
"चुप बानो, ऐसे क्या बोलती है !" उसने मुझे ऐसे कहने से मना किया।
"बोल ना, गाण्ड मारी थी उसकी....?" मुझे तो मजा लेना था।
"हाँ, कोशिश की थी, पर जोर से लग गई थी यहाँ पर ! बहुत तकलीफ़ हुई थी !"
"तो फिर क्या उसने तेरी गाण्ड चोदी थी ?"
"अब तुमने गाली बोली तो ठीक नहीं होगा !" उसने मुझे आगाह किया। पर मैं तो वासना में बह निकली थी। मुझे चुदाई की ऐसी बातें ही चाहिये थी।
"बता ना ! तूने गाण्ड मराई थी ना?" मैंने फिर जिद की।
"हाँ, उसने मेरी गाण्ड मार दी थी, बहुत दर्द हुआ था !" उसने शिकायत भरे लहजे में कहा।
"मुझे गीली करके चूत मारेगा या गाण्ड मारेगा?" मेरी चूत लपलपा उठी, चिकना पानी भर गया चूत में।
मेरी बातों को सुनकर वो नाराज हो गया और वहां से कमरे में आ गया और बिस्तर पर लेट गया।
"बानो क्या हो गया है तुम्हें ? ऐसी गालियाँ क्यूँ निकाल रही हो?" उसने फिर से शिकायत की।
पर मुझे अपना मजा लेना था।
मैं उसके पास आ गई और अपनी एक टांग ऊपर उठा कर उसके गले के पास रख दी और अपनी भीगी हुई चूत को उसके मुँह से लगा दिया। मेरी चिकनी चूत का पानी उसके मुँह के आस पास लग कर फ़ैल गया। वो कुलबुला उठा।
"अब्दुल, चल चूस ले, मुझे मस्त कर दे भेन-चोद, ये दाना हौले से मसल डाल !" मैं अपनी असलियत पर आती जा रही थी।
"चल हट ना, तू तो बेशरम हो गई है !"
"भोसड़ी के ! गाण्ड मरवा सकता है, चूत से परहेज कर रहा है? चूतिया है तू तो !"
मैंने उसके दुबले शरीर को कस कर भींच लिया। और उस पर चढ़ गई। उसका लौड़ा तो पहले से ही तन्ना रहा था। उसे अपनी चूत में दबा लिया और देखते ही देखते वो चूत में घुस गया।
"हरामी साले ! बड़े नखरे दिख रहा है रे ! एक लौड़ा क्या मिल गया तेरे को ! तो क्या खुदा हो गया है रे? मादरचोद ! तेरे जैसे सौ लौड़ों से चुद चुकी हूँ मैं !!" मैं उत्तेजना में बह चली।
मै ऊपर को धक्के लगाने लगी।
"अरे छोड़ दे रण्डी, छिनाल मुझे ! तेरी भेन चोदूँ ! साली हरामी, हट जा !"
"लगा ले जोर, तुझे आज मैं नहीं छोड़ने वाली, साला बड़ा आया था आशिकी झाड़ने।" मैंने उसे और कस कर जकड़ लिया। उसने भी अपनी ताकत लगा दी। जैसे जैसे वो ताकत लगाता, उसका लण्ड भी जोर मारता।
मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरे में जाने कहा से इतनी ताकत आ गई कि उसे मैंने बुरी तरह से दबा लिया। वो कराह उठा। मेरी चूत तेजी से भड़क उठी, और कस कस के उसके लौड़े पर चूत पटकने लगी। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
अचानक मेरा पानी निकल पड़ा और मैं झड़ने लगी। मैंने उसे और जोर से नीचे भींच लिया।
"बानो मेरी सांस रुक रही है, छोड़ दे प्लीज !" मुझे अचानक लगा कि अरे मैंने ये क्या कर दिया। अब्दुल का तो जैसे बलात्कार कर ही कर दिया। मैंने उसका कड़क लण्ड बाहर निकाला और उस पर से हट गई।
अब्दुल थका सा उठा, पर उठते मुझ पर झपट पड़ा और मुझे बिस्तर पर उल्टा पटक दिया।
"तेरी मां का भोसड़ा, अब बताता हू मैं...." उसने मुझे गाली देते हुये मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ दिया। पर उसे क्या पता था कि मैं तो पूरी तैयारी से आई थी। लण्ड गाण्ड में घुसते ही मुझे मजा आ गया।
"हाय रे.... मेरी गाण्ड बजायेगा ना, देख धीरे बजाना, लग जायेगी मुझे !"
"हरामी तेरी माँ चुद जायेगी अब, तेरी गाण्ड फ़ाड़ कर रख दूंगा.... साली चुद्दक्कड़ .... मेरी माँ चोद दी तूने.... तेरी तो फ़ोड़ कर रख दूंगा !" गुस्से में वो कस के गाण्ड चोद रहा था। मुझे मस्त किये दे रहा था। मुझे इसी तरह की चुदाई चाहिए थी। मुझे ऐसी ही तूफ़ानी तरीके से चुदना अच्छा लगता था।
हां मेरे चूंचे जरूर उसने रगड़ कर रख दिये थे जो टीस रहे थे। पर उसमें भी मजा था। वो मेरे चूंचे अभी भी बुरी तरह से खींचे जा रहा था। बहुत दर्द होने लगा था। गाण्ड में भी आस पास दुखने लगा था। मेरे गालों पर उसने काट लिया था। मेरे चूचुकों को दांतो से कुचल दिया था।
और अब वो अंतिम चरण में था। कुछ ही देर में उसके लण्ड ने फ़ुफ़कार भरी और पिचकारी छोड़ दी, ढेर सारा वीर्य निकल पड़ा और मेरे चूतड़ो पर फ़ैल गया। वो बार बार जोर मार कर लौड़े से अपना वीर्य बाहर फ़ेंक रहा था। कुछ ही पलो में वो पूरा झड़ गया।
मैं तुरन्त उसे धक्का दे कर अलग हो गई और खड़ी हो गई।
"मजा आया मेरे अब्दुल?"
"आप बहुत खराब हैं बानो, तुम भी युसुफ़ की तरह ही निकली.... देख मेरा लौड़ा, अब दर्द कर रहा है।"
"तू तो साला न तो लण्ड पीने दे और ना ही चूत का रस पीए, तो फिर जबरदस्ती करनी ही पड़ती है ना ! कोई एक और साथ में होती तो तेरे से जबरदस्ती अपनी रसीली चूत चुसवाती।"
"हाँ और ये लण्ड में दर्द जो हो रहा है, साली ऊपर से मुझे पूरा चोद दिया।" उसने अपना लौड़ा मुझे दिखाया। उसकी शिकायत पर मैं हंस पड़ी।
"दर्द तो तूने मेरी गाण्ड फोड़ी है ना उसका है, मेरी चूत तो देख अब तक रस से भरी खान है, लग ही नहीं सकती है तुझे।"
"तू अब जा बानो, मेरी तो तूने आज ऐसी तैसी कर दी !"
"और ये देख तूने तो मेरे चूचे लाल कर दिये, देख दोनों सूज के दुगने मोटे हो गए हैं, मर साले .... सुन अब्दुल, कल फ़िर ऐसे ही एक दूसरे को बजायेंगे !" कह कर मैं हंसी और धीरे से दरवाजा खोल कर दबे पांव नीचे अपने कमरे में आ गई।
मैंने जल्दी से अन्दर पेंटी पहनी और ब्रा डाल ली और बिस्तर में घुस गई। सब कुछ याद करके मुझे हंसी आ रही थी और खुशी भी हो रही थी अब्दुल को चोद कर, आज चुदाई करके मुझे मजा आ गया था, ऐसा जबरदस्ती वाला सुख मुझे जाने फिर कब मिलेगा।
मेरे चेहरे पर सुकून और शान्ति थी, चेहरे पर मुस्कान थी, दिल राजी था कि आज अब्दुल से चुदवा लिया, उसे फ़ड़फ़ड़ाता देख कर मजा भी आया था, पर हरामी ने मेरे चूंचो पर उसकी कसर निकाल दी थी........
धन्यवाद !

किरायेदारनी ने कराई ऐश
सभी शादीशुदा बड़ी उम्र की महिलाओं को मेरा सलाम।
देखिये मैं कोई कहानी आपको नहीं बता रहा हूँ, यह मेरा पहला अनुभव था जो मैं आपको बताना चाहता हूँ जब मुझे जिंदगी के सबसे हसीन पल नसीब हुए।
शुरू से ही मेरी दिलचस्पी बड़ी उम्र की महिलाओं में मतलब कि शादीशुदा महिलाओं में रही है क्यूंकि शादी के बाद उनके यौवन में जो निखर आता है उसका कोई जवाब ही नहीं होता !
चेहरे पर जो लाली होती है, शरीर में जो भराव होता है वो बात एक कुंवारी लड़की में नहीं होती।
यही वजह है कि मुझे शादीशुदा महिलाएं ज्यादा आकर्षक लगती हैं।
बात अभी पिछले साल की है जब हमारे घर पर नए किरायेदार आये थे। वो एक शादीशुदा जोड़ा था जिनकी शादी को अभी एक साल ही हुआ था !
पति रमेश एक दवाइयों की कंपनी में मैनेजर थे और पत्नी स्कूल टीचर जो पास के ही एक स्कूल में जाती थी, उनका नाम साक्षी था !
साक्षी के हुस्न की मैं क्या कहूँ ! एक दम गोरा बदन, शरीर भरा हुआ, दोनों चूचियाँ इतनी मोटी कि देखते ही लण्ड खड़ा हो जाये !
मैं तो उन्हें देखते ही पागल हो गया था ! एक आग सी लग गई अन्दर कि काश इनके यौवन का मजा मैं भी ले सकता !
बस फिर क्या था मैं बस एक मौके की तलाश में रहने लगा!
पहले धीरे धीरे मैंने साक्षी से बात करनी शुरू की ! बातों बातों में पता चला कि उनके पति अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते है कई दिनों तक !
बस यह सुनते ही मेरा दिल खुश हो गया क्यूंकि अब कुछ हो सकता था !
मैं अक्सर रात को उनकी खिड़की में झाँका करता था यह सोच कर कि कभी साक्षी के भरे हुए शरीर का नजारा मिल जाये !
एक रात तो मैंने साक्षी को सेक्स करते हुए उसके पति के साथ देखा ! तबसे मेरे तन बदन में आग लग गई कि अब तो मुझे कैसे भी करके साक्षी को चोदना है!
कुछ दिनों बाद साक्षी का पति बाहर चला गया और जिस दिन का मुझे इन्तज़ार था वो अब करीब था।
एक रात मैं साक्षी के कमरे में झांक रहा था तो जो देखा उस से मेरे रोंगटे खड़े हो गए ! साक्षी टीवी पर ब्लू फिल्म देख कर अपनी चूत को जोर जोर से अपने हाथों से रगड़ रही थी ! मेरा बारह इंच का लण्ड एक दम से तन कर खड़ा हो गया ! मुझसे रहा न गया और मैंने वहीं खड़े खड़े मुठ मार कर उसे शांत किया !
अगले दिन मैं कॉलेज से दोपहर में ही वापिस आ गया ! मेरे घरवाले ताला लगा कर बाहर गए हुए थे ! मैं बाहर सीढ़ियों पर बैठ गया !
तभी देखा कि सामने से साक्षी आ रही थी ! उनके स्कूल की छुट्टी हो गई थी !
मुझे बाहर बैठा देख कर वो मुझसे बोली : क्या बात है आशु दोपहर में बाहर क्यों बैठे हो !
मैंने कहा : घरवाले ताला लगा कर बाहर चले गए हैं और चाबी नहीं छोड़ कर गए !
साक्षी : तो कोई बात नहीं बाहर मत बैठो मेरे कमरे में आ जाओ नहीं तो बीमार पड़ जाओगे धूप में !
मैं उनके कमरे मैं चला गया !
साक्षी : कुछ भी चाहिए हो तो बता देना, संकोच मत करना।
मैं मन ही मन सोचने लगा कि जो चाहिए वो कैसे बताऊँ !
साक्षी : तुम यहीं बैठो, मैं कपड़े बदल कर आती हूँ !
जब वो कपड़े बदल कर आई तो जो गाउन वो पहन कर आई उसमें उन्हें देख कर मेरा लण्ड खडा हो गया !
वो मेरे सामने बैठ गई और मुझसे बात करने लगी !
साक्षी : तो कॉलेज में सिर्फ पढ़ाई ही करते हो या कोई मस्ती भी ! कोई गर्ल फ्रेंड है या नहीं ?
मैं उसकी पहली ही बात से हैरान हो गया कि इतना खुल के बात कर रही है !
मैंने कहा : नहीं, कोई नहीं है !
साक्षी : क्या तुम आजकल के लड़के एक लड़की नहीं सेट कर सकते ! पता नहीं जवानी के मजे कब लोगे।
मैं हैरान हो कर उसे देखता रहा!
तभी उसने अपनी एक टांग दूसरी टांग के ऊपर रख ली, जिससे उसकी जांघें दिखने लगी- एक दम गोरी गोरी, एक भी बाल नहीं एक दम चिकनी !
मेरी नज़र वहाँ जाकर टिक गई !
साक्षी : वैसे कल तुम मेरी खिड़की में झांक कर जो कर रहे थे वो ठीक नहीं !
इसका मतलब उसने मुझे मुठ मारते हुए देख लिया था ! अब मैंने तय किया कि जो भी होगा देखा जायेगा और मैंने उनकी जांघ पर हाथ रख दिया !
मैंने कहा : क्या करूँ जबसे तुम्हें देखा है तबसे अन्दर एक आग सी लग गई है ! मैं बस एक बार तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ !
साक्षी : तो यह बात है !
मैंने धीरे धीरे हाथ अन्दर बढ़ाना शुरू कर दिया !
साक्षी : शर्म आनी चाहिए तुम्हें जो एक शादीशुदा औरत पर नज़र रखते हो !
मैंने घबरा कर हाथ वापिस खींच लिया और जाने के लिए खड़ा हो गया ! मेरा लण्ड तो खड़ा ही था और वो पैंट से बाहर आने के लिए तड़प रहा था !
तभी साक्षी ने मेरी पैंट के बाहर से ही लण्ड पकड़ कर कहा : सिर्फ नज़र रखने से ही कुछ नहीं होता, कुछ करने की हिम्मत भी होनी चाहिए !
मैंने कहा : आप एक मौका तो दो, फिर मैं दिखाता हूँ कि क्या कर सकता हूँ !
साक्षी : तो फिर देर किस बात की है ! आ जाओ और हो जाओ शुरू ! शादी के बाद ये अकेलापन काटने को दौड़ता है पर इन्हें तो अपने काम से ही फुर्सत नहीं !
मैंने कुछ न कहते हुए हुए सीधे उनके रसीले गुलाबी होंटों को चूमना शुरू कर दिया !
धीरे धीरे मेरा हाथ उनकी गाउन के अन्दर उनकी मोटे मोटे मम्मों की तरफ बढ़ने लगा !
उसके मम्मे कस गए और मैंने उन्हें खूब जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया !
साक्षी ने मेरी पेंट की जिप खोल दी और मेरे लण्ड को पकड़ लिया और अंडरवीयर से बाहर निकल दिया और जोर जोर से हिलाने लगी !
हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए धीरे धीरे उनके बेडरूम में चले गए !
साक्षी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी पैंट और अंडरवीयर उतार दी !
साक्षी : अरे बाप रे ! इतना बड़ा लण्ड ! ऐसा तो मैंने ब्लू फिल्म में भी आज तक नहीं देखा कभी !
मैंने कहा बारह इंच का है ! अच्छे अच्छों का नहीं होता इतना मोटा और बड़ा !
साक्षी : पता है मुझे लण्ड के साथ क्या करना पसंद है !
मैंने पूछा : क्या ?
उसने कुछ नहीं कहा और सीधे मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया !
मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा !
वो बड़ी जोर जोर से मेरा लण्ड चूस रही थी ! और मेरा लण्ड और कसता जा रहा था !
पंद्रह मिनट तक वो मेरा लण्ड चूसती रही और मेरी साँसें तेज होनी लगी !
वो और तेज होती जा रही थी ! और एक दम से उसने अपना मुँह हटा लिया और मेरा सारा वीर्य चस चस करता हुआ तेज धार से उसकी गाउन पर जा गिरा !
साक्षी : क्या हुआ बस इतने में ही झड़ गए !
मैंने कहा : आज तो दस बार भी झड़ जाये तो भी ये लण्ड बैठने वाला नहीं ! मेरा लण्ड अभी भी पहले से ज्यादा तना हुआ था !
मैंने कहा : अब देखो मैं तुम्हें स्त्री जीवन के चरम सुख का आनंद दिलाता हूँ !
मैंने उसके गाउन को उतार दिया, उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था !
उसको बेड पर लिटा कर मैंने उसके मोटे मोटे मम्मो को मुँह में ले लिया और दबा दबा कर चूसने लगा ! उसके मुँह से जोर जोर से सिसकियाँ निकलने लगी ! मैंने जी भर कर पहले उसके मम्मों को चूसा, उसके लाल लाल चुचूकों को चूसा और चूस चूस कर उन्हें सुजा दिया।
साक्षी : बस इन्हें ही चूसोगे या कुछ और भी करोगे !
मैंने थोड़ा ऊपर उठ कर सीधे उसके होंठों को होंठों से चूमा और जी भर कर चूमा।
साक्षी : आह ! मेरे होंठों को काटने में बड़ा मजा आ रहा है क्या ?
मैंने कहा : बस देखती जाओ अब मैं कहाँ कहाँ काटता हूँ !
मैं धीरे धीरे, प्यार से चूमते हुए होंठो से नीचे की ओर गर्दन को चूमते हुए मम्मों को चूमते हुए और नीचे जाता गया ! अब प्यार से मैं उसके पेट को चूमते हुए धीरे धीरे नीचे की ओर जाने लगा ! मैंने पहले कभी चूत नहीं देखी थी तो मैंने अपने हाथों से पहले उसकी चूत को थोड़ा सहलाया ! धीरे धीरे मैंने उसे अपनी ऊँगली से रगड़ना शुरू किया ! साक्षी गरम होने लगी !
वो अस्स्स्स अस्स्स्स्स्स अस्स्स्स करके सिहरने लगी !
मैंने रगड़ते हुए कहा : आज तक आपका कभी झड़ा है ?
साक्षी : ये क्या कह रहे हो ! झड़ता तो आदमियों का है औरतों का नहीं !
मैंने कहा : यही तो ! यह बात कितनी औरतो को अपनी पूरी यौन-जीवन में पता नहीं चलती कि उनका भी झड़ता है और मर्दों से कहीं ज्यादा और तेज जिसे फीमेल एजकुलेशन कहते हैं ! और जो आनंद इस से मिलता है वो बयां नहीं किया जा सकता !
साक्षी : बोलो मत और करके दिखाओ !
मैंने धीरे धीरे उनकी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया ! रगड़ बढ़ने से साक्षी के बदन की गर्मी बढ़ने लगी ! उसके मुँह से अह्ह्छ अह्ह्ह स्स्स्स स्स्स्स ऊउम्मम्म ऊऊम्म की आवाजें आने लगी ! फिर मैंने अपनी एक ऊँगली को चूत के अन्दर डाल कर उसके “जी स्पॉट” को ( जो चूत के अन्दर होता है ) को रगड़ना शुरू कर दिया ! साथ साथ मैं उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूसता रहा !
मैंने ऊँगली की रगड़ को तेज कर दिया ! और साक्षी और ज्यादा आग की तरह भड़कने लगी। आवाजे बढ़ती जा रही थी ! ऊऊऊह्ह्हह ऊऊउह्हह स्स्स्स स्स्स्स्स्स्स्स
साक्षी : और जोर से, और जोर से आआऽसऽऽ आआआआअह्ह्हऽऽऽ अब बर्दाश्त नहीं होता ! डाल दो अपना लण्ड अन्दर और फाड़ दो मेरी चूत को, फाड़ दो ! आआआह्ह आआआह्ह्ह चोद चोद कर लाल कर दो मेरी चूत को, फाड़ दो !
जब मुझे लगा कि इसका “जी स्पॉट” पूरी तरह गरम हो चुका है तो मैंने अपना अपना लण्ड उसकी चूत पर सटा दिया और हल्का हल्का बाहर से ही रगड़ने लगा !
साक्षी : और कितना तड़पाओगे ! ये बारह इंच का हथोड़े जैसा लण्ड मार कर फाड़ दो मेरी चूत को !
मैंने हल्के-हल्के रगड़ते हुए एकदम से जोर का झटका मारा और एक ही बार में पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर डाल दिया !
साक्षी के मुँह से जोर से आवाज़ आई : हे माँ ! मार डाला ! आआअह्ह्ह्ह्ह ! तार तार कर दो आज मेरी चूत को फाड़ कर !
मैंने धीरे धीरे लण्ड को चूत में अन्दर बाहर करना शुरू किया ! उसकी सिसकियाँ बढ़ने लगी ! वो जोर जोर से आवाज़ निकालने लगी : आईई आह्ह्ह्ह स्स्स्स म्मम्म
मैंने उसके होंठों को होंठों से सील करते हुए लण्ड के झटके तेज कर दिए !
अब मेरा लण्ड पूरे उफान पर था और साक्षी का बदन पूरे जोश में आग से धधक रहा था ! आआह्छ अह्ह्ह्ह्ह्ह्छ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ
और मैं पूरी तेजी के साथ झटके दे रहा था ! फच फच फच की आवाजें आ रही थी जब मैं पूरे जोर से झटके लगा रहा था !
इतने में साक्षी का बदन अकड़ने लगा मुझे अहसास हो गया कि अब साक्षी झड़ने वाली है !
मैंने और जोर से झटके देने शुरू कर दिए ! इतने में साक्षी ने मुझे जोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया और
साक्षी : “”" हाय आशु ! मैं मर गई ,,,,,आआह्ह्ह्ह्छ ,,,, और एक दम तेज धार से उसकी चूत से पानी झड़ने लगा !
मैं रुका नहीं और मैंने झटके चालू रखे ! मैं चरम सीमा पर पहुँच चुका था और मेरा झड़ने वाला था !
मैंने और जोर से लण्ड चूत में हिलाते हुए उसको जकड़ लिया ! मेरा लण्ड चस चस करता हुआ एकदम कस कर उसकी चूत में झड़ गया ! और मैंने उसको कसकर जकड़ लिया !
हम दोनों शांत हो चुके थे ! जो आग अन्दर थी वो कुछ कुछ ठंडी हो चुकी थी !
हम दोनों कुछ देर बेड पर ही एक दूसरे को लिपट कर लेटे रहे और एक दूसरे को चूमते रहे !
साक्षी : यह सुख जो आज मिला है शायद ही जिंदगी भर कभी भूल पाऊँगी ! आज तक तो मैं बस सेक्स करती थी पर आज मेरा झड़ने के बाद उसका सही मतलब पता चला ! पर यही सुख मुझे आगे भी चाहिए !
हमने कई दिनों तक कई कई बार प्यार के हसीं पलों का मज़ा लिया !
कुछ महीने बाद उसके पति का ट्रान्सफर किसी और जगह हो गया और उन्होंने घर बदल लिया !
उसके बाद से मैं अकेला पड़ गया ! आज भी मुझे किसी शादीशुदा भरी हुई औरत की तलाश है !
मुझे मेल करें !
मेरे जुड़वां भाई ने मुझे चोदा
मेरा नाम रूबी है। मैं मुम्बई में नौकरी करती हूं। मैं और मेरा भाई राहुल दोनों जुड़वां हैं. मैं बचपन से ही पढने में तेज थी तो इस वजह से घर में मेरे भाई को हमेशा डांट पड़ती थी कि देख तेरी बहन कितनी तेज है और तू नालायक …
मैं मुंबई में अकेली रहती थी एक बी एच के हाउस में मलाड में, एक साल बाद मेरे भाई का भी मुंबई में जॉब लग गया ..मम्मी पापा ने उसे मेरे पास ही रहने को कहा, हम दोनों साथ रहते थे मगर हमारे अंदर कोई ग़लत फीलिंग नहीं थी …
मैं कभी कभी जब ज्यादा चुदाने के लिए भूखी हो जाती थी तो शायद होश नहीं रहते थे और भाई का अंडरवियर लेकर उसे अपने चूत में ऊँगली से डालती थी …. मुझे पता नहीं था कि मेरा भाई मेरे बारे में क्या सोचता है। कुछ दिनों बाद मैंने नोटिस किया कि मेरी ब्रा और पैंटी कभी भी मेरे रखे हुई जगह पे नहीं मिलती थी और उन पे सिलवटें भी बहुत होती थी. मुझे शक हो गया था कि मेरा भाई भी मेरी ब्रा पैंटी प्रयोग करता है मुठ मारने के लिए ….. फ़िर भी हम चुप रहते …अब असली कहानी ….
मैं अपने बॉस से पहले चुदवा चुकी थी और वही था मेरे एक साल में दो प्रमोशन का राज … मेरे बॉस की उमर ४० की थी और उसका बॉस ५० का था … मैं २६ की थी …
क्यूँकि अभी मेरा भाई मेरे घर पे रहता था तो बॉस को बहुत दिनों से मौका नहीं मिला था मुझे चोदने का .. तो वो मुझसे काफी नाराज रहता था और मुझे कभी कभी डांटता भी था ऑफिस में ….
मेरा भाई अपने दफ्तर के काम से पुणे जा रहा था दो दिन के लिए ..
मौके का फायदा उठाते हुए मैंने अपने बॉस को कहा कि आज रूबी आपकी है, मेरा भाई दोपहर को ही घर से निकलने वाला था, मैं शाम को जब घर आई तो मुझे लगा मेरा भाई जा चुका है .. मैंने अपने बॉस को फ़ोन लगाया और बातें करने लगी … मेरा भाई उस वक्त बाथरूम में था .. उसे मेरे बॉस की आवाज़ तो नहीं पर मेरी आवाज़ साफ साफ सुने दे रही थी … मैंने अपने बॉस से कहा .. आज रूबी को चुदवाना है अपने डार्लिंग से.. रूबी की चूत बहुत दिनों से प्यासी है…मैं थक गई हूं अपने भाई का अंडरवीयर अपनी चूत में डाल डाल कर.. मुझे लण्ड चाहिए
प्लीज़ जल्दी से आ जाओ और मुझे जम कर चोदो…
उधर मेरा भाई मेरी बातें सुनकर गरम हो गया था.. वो नहा कर बाहर निकला तो उसका लण्ड तन कर खड़ा था टॉवेल के ऊपर से ही दिख रहा था … मैं समझ गई कि इसने सब सुन लिया फ़िर भी नाटक कर के बोली- तुम गए नही अब तक … तो उसने कहा नही मेरे पेट में दर्द है, मैंने कहा कुछ दवा ले लो, उसने कहा नही मम्मी ने जो तेल दिया है उस से मालिश कर के सो जाऊँगा … फ़िर मैं समझ गई कि आज भी मेरी चूत भूखी रह जायेगी क्यूँकि मेरा भाई नहीं जाने वाला …
मेरा भाई नाटक कर रहा था .. उसके दिमाग में सिर्फ़ मेरी बातें घूम रही थी … वो भी अपनी प्यास मेरी चूत से मिटाना चाह रहा था … उसने मुझसे कहा , रूबी प्लीज़ इस तेल से मेरे पेट पर मालिश कर दो ना … मैंने कहा ठीक है .. वो अपना बनियान उतर कर बेड पर लेट गया .. मैंने उस वक्त बस नाईटी पहनी थी मैंने ना ही पैंटी ना ब्रा पहनी थी क्यूँ कि मुझे लगा था थोडी ही देर में मेरे बॉस आयेंगे और मुझे सब उतरना पड़ेगा …
मैं उसके पेट पे तेल मालिश कर रही थी, उसके नाभि के नीचे बहुत सरे बाल थे जो जैसे जैसे नीचे जाते थे और ज्यादा थे … मेरे थोड़ी देर मालिश करने पे वो बहुत गरम हो चुका था क्यूँकि उसके पायजामे के ऊपर से उसका तना हुआ लंड दिखाई देने लगा था फ़िर भी मैं चुप चाप मालिश करती रही … थोडी देर बाद उसने कहा पायजामा थोड़ा नीचे सरका कर थोड़ा नीचे तक मालिश करो न … मैंने वैसा ही किया … अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था … मैं भी सोच रही थी कि कब अपनी प्यास मिटाऊँ अपने सगे भाई के लंड से … इतने में वो बोल पड़ा हाथ अंदर डाल न … मैंने कहा कहाँ अंदर .. उसने कहा पायजामे के अंदर .. मैंने मना कर दिया .. . मन तो बहुत कर रहा था मगर वो मेरा भाई था इसलिए मैंने ना कह दिया … उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और जबरदस्ती अपने लंड पे ले गया, मैंने एक झटके से उसका हाथ दूर कर दिया …फ़िर वो बेड से उठ गया और मुझे जकड लिया और बोला सिर्फ़ अपने बॉस से चुदवाओगी …. कब तक तेरे ब्रा और पैंटी से मुठ मारता रहूँगा … मेरे लंड ने क्या पाप किए हैं?.. मैं ये सब सुन कर दंग रह गई … उसने कहा मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगा .. बस तू वो कर जो मैं कहता हूँ …
… फ़िर मेरे पास और कोई चारा नहीं था सिवाय उसकी बात मानने के, मैं ने चुप चाप सर हिला कर हाँ कह दी …. उसने कहा- वाह मेरी बहना ! आज तो मजा आ जाएगा …. आज तक बस ब्रा और पैंटी ही मिली थी मुझे तुम्हारी आज तो पूरी की पूरी रूबी मेरे सामने खड़ी है …. फ़िर उसने मुझे उसका पायजामा नीचे करने को कहा, मैंने वैसा ही किया .. वो अंडरवियर नहीं पहना था .. मैं उसके लंड से पहले ही रुक गई .. इसपर वो चिल्ला कर बोला .. साली रुक क्यूँ गई .. तेरे बॉस का लंड बहुत पसंद है तुझे .. मेरा लंड नहीं लेगी क्या .. चल उतर जल्दी से पायजामा मेरा .. फ़िर मैंने उसका पूरा पायजामा उतार दिया अब वो पूरा नंगा लेटा था मुझे उसे देखने में शर्म आ रही थी.
.. पर उसका तना हुआ लंड देख कर मैं भी थोडी गरम हो गई थी .. वैसे तो उसका लण्ड मेरे बॉस के लण्ड से कम लंबा और मोटा था … उसने मुझसे कहा जल्दी से चूसना शुरू करो ना … फ़िर मैंने उसका लण्ड अपने हाथों में लिया उसकी जांघों के बीच में बैठ गई और फ़िर उसका लण्ड अपने होठों पे रगड़ने लगी … अब मैंने भी सोच लिया था कि शरमाने से कोई फायदा नहीं है आज मेरा भाई मुझे बिना चोदे मानने वाला नहीं है तो क्यूँ नहीं खुल के चुदवाऊँ इससे ताकि चुदने का भी मजा आए … मैं उसका लण्ड होठों पे रगड़ रही थी .. फ़िर लोलीपोप की तरह मैं पहले बस उसका सुपाड़ा चूस रही थी …उसके सुपाड़े से पतली पतली रस निकल रही थी .. मैं उसे लिपस्टिक की तरह होठों पे लगा रही थी।
इतने में उसने भी अपने हाथों से मेरी गांड सहलाना शुरू किया … वो अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों गोलाईयां सहला रहा था … मुझे इतना मजा नहीं आ रहा था क्यूँकि वो नाईटी के ऊपर से मेरी गांड को सहला रहा था .. मैंने फ़िर उसके बिना कुछ कहे अपनी नाईटी उतार दी और अब मैं बिल्कुल नंगी थी उसके सामने .. इतने में उसने कहा- साली तूने तो न ब्रा ना पैंटी पहन रखी है.. पूरी तैयारी में थी मुझसे चुदवाने की क्या …
फ़िर मैंने कहा तुझसे नहीं मेरे बॉस आ रहे है ना ! तो … फ़िर बिना कुछ कहे मैं उसका लण्ड चूसने लगी .. वो मेरे सिर को पकड़ कर जोर जोर से लण्ड में धक्का देने लगा .. एक तरह से वो मेरा मुंह चोदने लगा … … मैं बहुत गरम हो चुकी थी … मेरा मुंह पूरी तरह से चिपचिपा हो गया था उसके पतले रस से..फ़िर थोड़ी देर बाद उसने मुझे नीचे लिटा लिया और मेरे स्तनों से खेलने लगा। वो उन्हें जोर जोर से दबाने लगा। मुझे दर्द हो रहा था मगर मज़ा भी बहुत आ रहा था। यह सोच कर ज्यादा मज़ा आने लगा कि मेरा सगा भाई मुझे चोदने वाला है..
वाऽऽऽ ! अब भाई मेरे दोनों स्तनों को बारी बारी चूसने लगा। वो मेरे चूचकों को जोर से काटने लगा.. दर्द से मैं कराहने लगी, बीच बीच में मैं चिल्ला भी पड़ती थी मगर उसे कुछ फ़र्क नहीं पड़ रहा था। उसने तो आज अपनी बहन की चूत फ़ाड़ने का सोच ही लिया था …..वो मेरे निप्पल चबाने लगा, मैं मदहोश हो चुकी थी पूरी तरह.. मेरे मुंह से गंदे शब्द जो कि मैं मदहोश होने के बाद बोलती हूं अपने बॉस के साथ .. निकलने लगे भाई के भी सामने !… मैंने कहना शुरू किया .. आह अब चोदो ना राहुल … चोद दो मुझे .. अपनी बहन की प्यास बुझाओ .. चोदो .. फाड़ डालो मेरी चूत …
फ़िर वो धीरे धीरे नीचे गया .. और मेरी चूत चाटने लगा उसकी ये अदा मुझे बहुत पसंद आई क्यूँकि मेरे बॉस ने अपना लण्ड मुझसे बहुत बार चुसवाया था मगर मेरी चूत चाटने से मना करते थे .. वो बिल्कुल कुत्ते कि तरह पूरी जीभ बाहर निकाल कर मेरी चूत चाटने लगा .. वो जीभ को चूत के अंदर बाहर करने लगा .. मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था … मैंने कहा प्लीज़ राहुल मुझे अब लण्ड चाहिए तुम्हारा … अपना लण्ड डालो मेरी बुर में .. उसने कहा बुर तो तेरी मैं जरुर चोदूंगा पहले बाकि सब का भी तो मजा ले लूँ ..
फ़िर उसने मुझे पलट दिया और पेट के बल लिटा दिया .. अब उसके सामने मेरी गांड थी.. वो मेरी दोनों चूतडों को मसल रहा था और मैं इतनी उत्तेजित थी कि अपनी ऊँगली अपनी चूत में डाले जा रही थी ….फ़िर उसने मेरे चूतडों को चाटना शुरू किया … कसम से मैंने बहुत बार चुदवाया बहुत बार ! हाय ! मगर इतना मजा मुझे पहली बार आ रहा था वो भी मेरे भाई से … मैं आह आह आ औच … की आवाजें निकाले जा रही थी .. वो पूरा मस्त होकर मेरी गांड चाटता जा रहा था … फ़िर उसने मेरी गांड में अपनी ऊँगली डाली .. मैं चिहुंक उठी .. मैंने कहा क्या कर रहे हो राहुल … गांड मरोगे क्या मेरी ? ! ? !… उसने कहा – रूबी ! आज तो तेरे शरीर के हर छेद में अपना लण्ड डालूँगा मैं … तुझे चोद चोद के निढाल कर दूंगा …. मैं खुशी से पागल हो रही थी …
फ़िर थोडी देर बाद उसने मुझे उठाया और अपनी जाँघों पर बैठा दिया वो लेता हुआ था मैं उसकी जाँघों पर बैठी थी वो मेरे बूब्स दबा रहा था .. फ़िर उसने कहा – अब मेरा लण्ड पकड़ कर ख़ुद अपनी बुर में डालो .. मैंने वैसा ही किया … मेरी बुर से बहुत पानी निकल चुका था इस वजह से मेरी बुर पूरी गीली थी और उसका लण्ड भी … मैंने उसका सुपाड़ा अपनी बुर पे रखा और फ़िर धीरे धीरे उसपे बैठ गई जिससे की उसका पूरा लण्ड मेरी बुर में घुस गया .. अब मुझे बहुत मजा आ रहा था .. फ़िर मैं ख़ुद ऊपर नीचे करने लगी .. मुझे ऐसा लग रहा था की राहुल मुझे नहीं मैं राहुल को चोद रही हूँ … मैंने हिलना तेज किया … वो भी नीचे से अपनी गांड उछाल उछाल कर मुझे चोद रहा था.
थोडी देर तक इस पोसिशन में चोदने के बाद उसने कहा – अब तुम नीचे आओ … मैं बेड पे लेट गई .. वो मेरे ऊपर आ गया और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पे रख दिया इससे मेरी बुर उसे साफ साफ दिखाई दे रही थी.. …फ़िर उसने मेरी बुर पे अपना लण्ड लगाया और एक ही झटके में जोर से पूरा अंदर डाल दिया … मैं लगातार सीत्कार कर रही थी आह ..ऊंह ह्ह्ह ह .ओह ह हह कम ऑन राहुल … फक मी … चोदो … आह ह हह ह्ह्ह .. और जोर से चोदो … अ आ आया अह हह हह …..
उसकी स्पीड बढती जा रही थी अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मेरी बुर से सर सर करता हुआ सारा पानी बाहर आ गया …. राहुल रुकने का नाम नहीं ले रहा था … मेरी बुर के पानी की वजह से उसके हर धक्के से कमरे में फत्च फच की आवाज़ आने लगी .. वो मेरी बुर पेलता ही जा रहा था … मैं भी उसका साथ दे रही थी .. मैं उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर धक्के लगा रही थी अपनी तरफ़. …
फ़िर मैंने उसे कहा – राहुल अपना रस अंदर मत गिराना, नहीं तो तुम मामा और पापा दोनों बन जाओगे इस पे वो हँस पड़ा और अपनी स्पीड और बढ़ा दी …. अब वो गिरने वाला था
… वो मेरी बुर, जो कि चुदा चुदा कर पूरी भोंसड़ा बन गई थी, उससे लंड बाहर निकाला और मुझसे कहा कि अपने दोनों बूब्स को साइड से दबा कर रखने को। फ़िर मेरे दोनों बूब्स के बीच उसने अपना लंड डाल कर मेरी पेलाई शुरू कर दी थोडी देर ऐसे ही वो मुझे पेलता रहा उसके बाद उसके लंड से फच फचा कर सारा रस निकल गया जो कि मेरे पूरे मुंह में और चूचियों पे गिरा… मैं अपनी जीभ से और होठों से उसका रस चाट रही थी …….
फ़िर उसने अपना लंड ही मेरे मुंह में दे दिया मैंने उसका लंड थोड़ी देर चूसा … मुझे ऐसा लगने लगा कि वो फ़िर से उत्तेजित हो रहा है … क्यूंकि वो मुंह के ही अंदर धक्के लगाने लगा … इतने में दरवाजे की घंटी बजी .. टिंग टोंग !…. वो उठ गया मैं भी उठ गई वो बोला मैं देख कर आता हूँ .. उसने बिना दरवाजा खोले आई-होल से देखा तो मेरे बॉस बाहर खड़े थे … वो समझ गया की ये भी यहाँ रूबी को पेलने आए हैं … फ़िर उसने आकर मुझ से कहा- तेरे बॉस हैं ….
राहुल से चुदवाने में मुझे बहुत मज़ा आया। मैं अभी भी नंगी लेटी थी अपने बिस्तर पर। अपने हाथों से राहुल का वीर्य अपने स्तनों पर मल रही थी।
राहुल मेरी चूत को फ़िर से अपने हाथ से मसल रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। तभी दरवाज़े पर घण्टी बजी– टिंग टोंग ! टिंग टोंग !
मैं समझ गई कि मेरा बॉस होगा। राहुल गया देखने के लिए !
उसने देखा- मेरा बॉस बाहर खड़ा था। उसने मुझे आकर बताया- हो जा तैयार एक बार और चुदवाने के लिए ! तेरा बॉस आ गया।
मैंने राहुल को बोला- तू प्लीज़ ! थोड़ी देर के लिए रसोई में चला जा !
फ़िर मैंने तौलिया लपेट कर दरवाज़ा खोला। मेरा कमीना बॉस मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था।
उसने अन्दर घुसते ही मुझे गोद में उठा लिया और कहा- आज बहुत चुदवाने का मन है ना तुझे,
बहुत तड़पाया है मुझे तूने … तुझे चोदने के बाद तो मुझे किसी और को चोदने में मजा ही नहीं आता …
मैंने फ़िर अपना नाटक दिखाना शुरू किया .. क्यूँकि मेरी चूत की प्यास मेरे भाई ने बुझा दी थी …
मैंने कहा- नहीं ! मुझे नहीं चुदवाना …
उसने मुझे बेड पे पटक दिया और मेरे ऊपर लेट गया मेरे दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से कस के पकड़ लिया ताकि मैं हिल ना सकूँ और फ़िर मुझे किस करने लगा …वो मेरी जीभ को चूसता जा रहा था …
फ़िर थोड़ी देर बाद कहा- साली क्यूँ नहीं चुदवाएगी अब मुझसे …
मैंने नाटक करते हुए कहा- आज कल आप मेरे वेतन बढ़ाने पे ध्यान नहीं दे रहे हैं …
वो समझ गया .. उसने फ़िर बताना शुरू किया कि
आज कल बहुत कुछ बदल गया है ऊपर के प्रबंधन में … मैं भेजता हूँ तो फ़िर मेरे बॉस फैसला करते हैं कि कितनी वृद्धि देनी है …
फ़िर मैंने कहा- तो फ़िर मैं तुम्हें क्यूँ दूँ अपनी चूत ! तुम्हारे बॉस को ना दूँ … .?
फ़िर उसने कहा- ठीक है उसे भी देना, मगर मैंने कितना कुछ किया तुम्हारे लिए ..
मैंने कहा- जब किया तब मुझे जम कर पेला भी तुमने …
मुझे याद है तू हर दूसरे दिन मुझे चोदता था … कभी कभी तो मेरे मासिक के बावजूद …अभी मुझे क्या मिलेगा तुमसे चुदवा कर …
फ़िर इस पे उसने कहा- रूबी माय डार्लिंग ! तुम्हें जितने की वृद्धि चाहिए उतनी तुम मेरे वेतन से ले लेना बाबा !
… आगे मुझे कभी ऐसा मत कहना … अगर मुझे तुम्हारी चूत नहीं मिली तो मैं पागल हो जाऊंगा … !
फ़िर मैंने सोचा- चलो अब तो मैं बहुत कुछ ले सकती हूँ इससे ..
फ़िर उसके बालों को पकड़ कर मैंने अपने मुंह की तरफ़ खींचा और चूसने लगी उसके होठों को ..
वो समझ गया कि मैं मान गई हूँ … उसने तुंरत खड़ा होकर मेरा तौलिया खींच दिया।
मैं पूरी नंगी लेटी थी बेड पर …
फ़िर वो जल्दी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर पूरा नंगा खड़ा हो गया मेरे सामने … .. फ़िर अपने लंड की तरफ़ इशारा किया।
मैंने भी बेड से उठ कर उसका लंड अपने हाथों में लिया और हिलाने लगी।
फ़िर मैं झुक कर उसके लंड को अपने होठों पे रगड़ने लगी, फ़िर उसके सुपाड़े को अपने जीभ से चाटने लगी।
वो सीत्कार कर रहा था और मेरे बालों को सहला रहा था . … ..
मेरा एक हाथ उसके लण्ड पे था दूसरे से मैं उसकी गांड को सहला रही थी … वो पूरी तरह मस्त हो चुका था …
फ़िर मैंने उसका चूसना शुरू किया … … म्म्म्म्म्म्म म्च उम्म्म्मा मैं चूसती चली गई … . मैं उसका लंड हिला हिला कर चूस रही थी …
इतने में मैंने देखा .. मेरा भाई मेरे बेडरूम के दरवाजे पे नंगा खड़ा है और मुझे देख रहा है … .. मेरे बॉस दरवाजे की तरफ़ पीठ करके खड़े थे, इसलिए उन्हें कुछ दिख नहीं रहा था।
मैंने राहुल को इशारा किया नहीं आने का, मगर वो नहीं माना और अंदर आ गया। मैं रुक गई, फ़िर मेरा बॉस उसे नंगा देख कर दंग रह गया …
मैंने फ़िर बॉस को कहा कोई बात नहीं .. और वापस उसका लंड हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए चूसने लगी। मैं जमीन पे घुटनों के बल झुकी थी और बॉस का लंड चूस रही थी …
इतने में राहुल ने मेरी चूत मसलनी शुरू की …
हम सब चुपचाप अपने अपने काम में मस्त थे … फ़िर वो झुक कर मेरी चूत चाटने लगा … ..वो एक साथ तीन तीन उँगलियाँ मेरी चूत में डालता और फ़िर चाटता रहता …
मैं भी तेजी से बॉस के लंड को चूस रही थी … राहुल ने मुझे पूरी तरह से मस्त कर दिया था।
अब मेरी बुर तरस रही थी चुदाने के लिए … मैं मन ही मन खुश हो रही थी .. की दो दो चुदाई एक साथ होगी आज मेरी …
फ़िर मेरे बॉस ने मेरे बालों को पकड़ कर मुझे ऊपर खींचा और मुझे बेड पे हाथ रख कर झुका दिया, फ़िर पीछे से मेरी चूत मसलने लगे।
मेरी चूत को राहुल ने पहले बहुत गीला कर दिया था, उससे रस टपक रहा था … .
मेरे बॉस ने पीछे से ही कुतिया स्टाइल में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया … .. वो इतनी गीली हो गई थी की लंड सरसराते हुए अंदर चला गया
मैं थोड़ी चिंहुक उठी क्यूँ कि मेरे बॉस का लंड बहुत मोटा है।
… … .आ आ अ आह ह
फ़िर वो धीरे धीरे मुझे पेलने लगा … .
मेरे दोनों स्तन लटक रहे थे और हर धक्के पे हिल रहे थे …
मैं सिसकार रही थी … … उन्ह हह ह अ आ अह अ आ आ आह मम ममी … … अह हह हह
फ़िर राहुल मेरे सामने से आकर बेड पे घुटने के बल खड़ा हो गया और अपने लंड को मेरे मुंह में डाल दिया … .
मैं उसका लंड चूसने लगी .. अब एक साथ दो दो मेरी चुदाई कर रहे थे, मुझे बहुत मजा आ रहा था … …
मेरे बॉस ने अपनी स्पीड बढ़ाई … … ..कमरे में थप थप की आवाज आने लगी, वो मेरे पीछे से मेरी बुर पेल रहा था … … ..
उसके हर धक्के से राहुल का लंड और अंदर चला जाता था मेरे मुंह में … …
फ़िर थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद उसने अपना लंड मेरी बुर से बाहर निकाला और मुझे बेड पे लिटा कर मेरी टांगों को फैला दिया और मेरी दोनों टांगों को थोड़ा ऊपर उठा कर मेरे दोनों हाथों से पकड़ने को कहा।
मैंने ऐसे ही किया …
फ़िर उसने सामने से मेरी बुर में अपना लंड डाल दिया … … वो चोदने लगा।
मैं मस्त हो गई … … ओह हह ह्ह्ह आ अ आ आह आ ओह ह्ह्ह .. चोद … … आ जा चोद दे … … आ आह
मेरे मुंह से ख़ुद ब ख़ुद ये सब आवाजें निकलने लगी।
फ़िर मैंने एक हाथ से राहुल का लंड पकड़ा और हिलाने लगी … …
वो मेरे स्तन दबा रहा था … … अ आ आह … … मेरा बॉस मुझे चोदे जा रहा था ……उसकी स्पीड बढ़ गई।
मेरी बुर से पूरा रस निकल चुका था … … … . फच फच की आवाज़ आने लगी थी।
अ आ अआः चोदो माँ अआः … .. … राहुल … … …
मेरा भाई भी मस्त हो गया था … ..
वो देख रहा था कि कैसे उसकी बहन मस्त होकर चुदवा रही है अपने बॉस से और फ़िर उसका लंड भी हिला रही है।
मेरे बॉस का रस निकलने वाला था … उसने लंड बाहर निकाल कर उसे मेरे दोनों बूब्स पे गिरा दिया … …।
मेरे हाथो में अभी भी राहुल का लंड था …
वो अभी भी पूरा तना हुआ था और अपनी रूबी दीदी की बुर में जाने को बेताब था … .. इतने में मेरा बॉस खड़ा होकर अपने कपड़े पहनने लगा …
मैं बेड पे ही लेटी थी … उसने कपड़े पहन कर कहा- रूबी कल दफ्तर में मिलते हैं जानम …
और फ़िर राहुल से कहा- ज़म के और जोर से चोदना, साली बहुत गर्म है … … वो इतना बोल कर चला गया।
फ़िर राहुल ने मुझे चूमना शुरू किया … … वो अपनी दीदी के होठों को चूस रहा था … उस की जीभ को चूस रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने कहा- अब रहा नहीं जाता … !
और फ़िर उसने नीचे जाकर मेरी बुर की पेलाई शुरू कर दी … . मेरे बॉस का वीर्य जो कि मेरे स्तनों पे अभी भी था .. वो उसके ऊपर से मेरे बूब्स को दबा रहा था … उसके हाथों में भी पूरा रस लग चुका था।
वो मेरे चूचुक मसल रहा था … … फिर उसने एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया और चोदने लगा … ..वो पूरी तरह मेरे ऊपर लेट कर मुझे चोद रहा था …
उसकी छाती मेरे दोनों स्तनों को दबा रही थी और वहाँ पे बॉस-रस होने की वजह से चिपक भी रही थी …
वहाँ से अभी फच फच फच की आवाज आ रही थी … … वो स्पीड से चोदता जा रहा था … .. फ़िर थोड़ी देर में वो झड़ गया ..
मगर इस बार उसने अपना सारा रस मेरे बुर में ही डाल दिया …
मैं घबरा गई … मैंने उसे जबरदस्ती उठाया अपने ऊपर से … लेकिन तब तक मेरी बुर के अंदर मेरे भाई का सारा वीर्य जा चुका था … .
मैंने उससे कहा- अगर मैं गर्भवती हो गई तो … ?
फ़िर मैंने उसे कहा- जल्दी से कपड़े पहन कर दवाई की दुकान से आई-पिल लेकर आ … .
वो आई-पिल लेने चला गया और मैंने नहाने चली गई … … … ..
अगले हिस्से में पढ़िये- कैसे राहुल के बॉस ने मुझे चोदा … ? … बिल्कुल अलग ढंग से !!
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चूत की चोरी
मैं बचपन से अच्छे माहौल में नहीं रहा हूँ। मैं चोरी बहुत कुशलता से कर लेता हूँ। पर इसके लिये भाग्य का भी आपके साथ होना जरूरी है। शारीरिक सुडौलता एक आवश्यक गुण है। इसके लिये मैं हमेशा कठिन योग भी करता हूँ और जिम भी जाता हूँ। मेरा शरीर एक दम चुस्त और वी शेप का है। मैं सुबह सुबह मैदान के चार से पांच चक्कर लगाता हूँ। मेरी चोरी करने के कपड़े भी एकदम बदन से चिपके हुए होते हैं। तो आईये चलते हैं चोरी करने…
मेरे सामने एक मकान है। उसमें एक छोटा सा परिवार रहता है। सिर्फ़ मियां-बीवी और उनकी एक १८-१९ साल की लड़की वहां रहती है। पैसा अच्छा है… जो सामने वाले कमरे कि अल्मारी में रखा है। उसकी अलमारी की चाबी मालकिन के पास उसके तकिये के नीचे होती है। रात की शिफ़्ट में मालिक काम करता है। मालिक ड्यूटी पर जा चुका है। मैं मकान के पास, कभी पान की दुकान पर या पास की चाय की दुकान पर मंडरा रहा हूँ।
कमरे की लाईट अभी जल रही है… मैने समय देखा रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। और अब लाईट बन्द हुई है। मैंने टहलते हुये उस घर का एक चक्कर लगाया… सभी कुछ शान्त था। १२ बज चुके हैं।… मैं घर के पिछ्वाड़े में गया और एक ही छलांग में चाहरदीवारी पार कर गया। बिना कोई आवाज किये बाल्कनी के नीचे आ गया। उछल कर बालकनी में आ गया। थोड़ी देर इन्तजार करके खिड़की को धीरे से धक्का दिया… मेरी आशा के अनुरूप खिड़की खुली मिली… मैने धीरे से कदम अन्दर बढ़ाया। कमरे मे पूरी शान्ति थी। सामने बिस्तर था। मैं दबे पांव वहां पहुँचा। वहां पर, जैसा मैंने सोचा था, घर की मालकिन सो रही थी। मै चाबी निकालने के लिये ज्यों ही झुका…
“मैने दरवाजा खुला रखा था… खिड़की से क्यों आये…” फ़ुसफ़ुसाते हुये मालकिन ने कहा।
मै घबरा गया। पर मेरा दिमाग कंट्रोल में था। …
“बाहर से कोई देख लेता तो…” मैंने हकलाते हुए कहा…
“लेट क्यो आये … इतनी देर कर दी…”
“लाईट जली थी…मैं समझा कि कोई है……” उसने मुझे अपने बिस्तर पर मुझे खींच लिया…
“तुम मनोज के दोस्त हो ना… क्या नाम है तुम्हारा…”
“जी… सोनू… है…”
“अरे… मनोज तो रवि को भेजने वाला था… तुम कौन हो…”
” जी… मैं रवि ही हूँ…सोनू तो मुझे प्यार से कहते हैं…”
“अरे सोनू हो या मोनू … तुम तो बस शुरू हो जाओ… ” उसने मुझे अपनी बांहों मे कस लिया।
मुझे अहसास हुआ वो बिलकुल नन्गी थी। मैं चोरी के बारे में भूल गया। मेरे शरीर मे गर्मी आने लगी। वो किसी का इन्तजार कर रही थी। शायद रवि का…
“दरवाजा खुला है क्या…?”
“अरे हां…” वो जल्दी से उठी और दरवाजा बन्द करके आ गई। मैने भी अपने कपड़े उतार लिये और नंगा हो गया।
“आपका नाम क्या है …” मैने उसका नाम पूछ ही लिया
“कामिनी… क्यों मनोज ने बताया नहीं क्या…”
मैने कुछ नहीं कहा … उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और बेशर्मी से अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिये। मेरे बदन में वासना भड़क उठी। उसका नंगा बदन मुझे रोमान्चित कर रहा था। मेरा लण्ड जाग चुका था। और अपने काम की चीज़ ढूंढ रहा था। फ़ड़फ़ड़ाती चिड़िया को कामिनी ने तुरन्त अपने कब्जे में ले लिया। मेरे लण्ड पर उसके हाथ कस चुके थे और अब उसे मसल रहे थे। मेरे मुख से आह निकल गई… मैंने उसे चूमना जारी रखा… तभी
“बहन के लौड़े… मेरी चूंचियां तो दबा … ” उखड़ती हुई सांस और एक गाली दी… मैं और उत्तेजित हो गया। उसके बोबे बड़े थे… दबा दिये और उन्हें मसलने लगा।
“मेरी जान… जल्दी क्या है … देख तेरी चूत को कैसा चोद कर भोंसड़ा बना दूंगा”
कामिनी मेरे लण्ड की खाल को ऊपर नीचे मुठ मारने जैसी चलाने लगी। मैने जोश में आकर उसके चूतड़ों को दबा डाला।
“हाय रे… मेरी गाण्ड मसल दी … बहन चोद… मेरी गाण्ड मारनी है क्या…” वो वासना में डूब चुकी थी।
“इच्छा है तो कहो… आपका गुलाम हूँ… ” मैने उसकी चमचागिरी की।
“तो चल चोद दे पहले मेरी गाण्ड… फिर मेरा भोंसड़ा चोद देना…” उसकी भाषा … हाय रे… मुझे उत्तेजित कर रही थी। शायद वो बहुतों से चुदा चुकी थी … और उसकी गाली देने की आदत पड़ गई थी। मैंने उसके मस्त चूतड़ दबाने और मसलने चालू कर दिये। उसके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी।
वो सीधी लेटी थी। मैंने उसकी चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और गाण्ड ऊंची कर दी। मैने उसकी गाण्ड पर अपना लण्ड टिका दिया और जोर लगाने लगा। मेरे दोनो हाथ फ़्री थे। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड मे उतर गया… मैने उसके बोबे दबाये और और उसकी गाण्ड को चोदना चालू कर दिया। वो मस्त होने लगी। कुछ देर बोबे मसलने के बाद बोबे छोड़ कर उसकी चूत में अपनी अंगुली घुसा दी।
वो चिंहुक उठी। बोली -”हरामी ये तरीका किसने बताया रे…… मस्त स्टाईल है… अब तो चूत में भी मजा आ रहा है…।”
” कामिनी जी … आपकी चूत मस्त है…अगर इसकी मां चुद जाये तो आपको मजा आ जायेगा ना…”
“हाय मेरे सोनू…… तूने ये क्या कह दिया … मां चोद दे मेरी भोसड़ी की…हाय…सच में बहुत प्यासी है रे…”
मेरा लण्ड अब थोड़ा तेजी पर था। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, उसकी गाण्ड थोड़ी सी टाईट भी थी। मेरे धक्के उसकी गाण्ड में और उसकी चूत में मेरी अंगुलियां तेजी से चल रही थी। वो लगभग चीखती हुई सिसकारियां भर रही थी। उसे डबल मजा जो मिल रहा था। अब मेरा भी लण्ड फूल कर बहुत ही मस्त हो रहा था। मुझे लग रहा था कि ऐसे ही अगर गाण्ड चोदता रहा तो मैं झड़ जाऊंगा। मैने अपना लण्ड अब गाण्ड में से निकाला और उसकी चूत में फ़ंसा दिया। मेरा सुपाड़ा उसकी चूत में फ़क से फ़िट हो गया ।
“हाय्…री… गया अन्दर… चुद गई…रे……” वो मस्त होती हुई सिसकने लगी।
मुझे भी तेज आनन्द की अनुभूति हुई… उसे अपनी चूत में लण्ड उतराता हुआ मह्सूस हो रहा था। मेरे लण्ड की चमड़ी रगड़ खाती हुई तेज मजा दे रही थी। मैने अपने धक्के लगा कर चूत की गहराई तक अपना लण्ड गड़ा दिया। अब मै उसके ऊपर लेट गया और अपने हाथो से शरीर को ऊंचा उठा लिया। मुझे लण्ड और चूत को फ़्री करके तेजी से धक्के लगाना अच्छा लगता है। अब मेरी बारी थी तेजी दिखाने की। जैसे ही मैने अपना पिस्टन चलाना चालू किया वो भी बड़े जोश से उतनी ही तेजी से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर साथ देने लगी।
“तू तो गजब का चोदता है रे… मुझे तू ही रोज़ चोद जाया कर…”
“मत बोलो कुछ भी…… मुझे बस चोदने दो… हाय रे…कितना मजा आ रहा है…”
“मादरचोद…रुक जा…झड़ना मत……वर्ना मेरी चूत को फिर कौन चोदेगा…”
“चुप रहो … छिनाल… अभी तो चुद ले… झड़े तेरी मां… कुतिया…”
मेरे धक्के बढ़ते गये। उसकी सिसकारियां भी बढ़ती गई…उसकी गालियां भी बढ़ती गई… अचानक ही गालियों की बौछार बढ़ गई………
“हरामी … चोद दे……मेरी भोसड़ी फ़ाड़ डाल…… मेरी बहन चोद दे… कुत्ते… मार लण्ड चूत पर… हाय रे मेरी मां…”
मैं समझ गया कि अब कामिनी चरमसीमा पर पहुंच रही है। मैंने भी अपने आप को अब फ़्री छोड़ दिया झड़ने के लिये।
“मर गई रे…… भोंसड़ी के… लगा… दे धक्के… निकाल दे मेरा पानी… मादरचोद रे…अरे…गई… निकला रे……हाऽऽऽऽय री मां…”
और वो झड़ने लगी। मैने भी लण्ड अब उसके भोंसड़े में जोर से गड़ा दिया। और जोर लगाता रहा…दबाव से मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। मेरा लण्ड झटके मार मार कर वीर्य उसके चूत में छोड़ रहा था। कामिनी ने मुझे अपनी टांगों के बीच मुझे जकड़ लिया था। दोनो का रस एक साथ ही निकल रहा था। हम आपस में चिपके रहे। अब मैं बिस्तर से नीचे उतर गया था।
“बस कामिनी जी… आपने तो मेरा पूरा रस निकाल दिया…”
“……ये लो… कल दरवाजे से आना……” कामिनी ने मुझे ५०० का एक नोट दिया…”तुम बहुत अच्छा चोदते हो…अब मुझे किसी दूसरे की जरूरत नहीं है…”
मैने झिझकते हुए रुपये ले लिये और चुपचाप सर झुका कर दरवाजा खोला और बाहर निकल गया।

Wednesday, April 21, 2010

आखिर मनीषा चुद ही गयी
उसके रूप के बारे में बस इतना ही कहूँगा कि लगता है भगवान ने गलती से उसे नीचे भेज दिया। वो तो वो मेनका है कि अगर एक बार जिसे देख ले बेहोश हो जाए ! एक अट्ठारह साल की लड़की जो बला की खूबसूरत हो, आपको तो पता ही है उसके चाहने वाले कितने होंगे।तो दोस्तो बात तब की है जब मै दसवीं मे पढ़ता था और वो जब वो स्कूल में आती थी तो ऐसा लगता था कि मानो बहार आ गई हो ! मैं उसे दिल ही दिल में प्यार करता था पर क्या कहूँ यार हम सब की यही परेशानी है कि हम कहने से डरते हैं !एक बार मैने उसे पत्र लिखा और उसे कैसे दूँ, यही सोच रहा था कि तब तक वो मेरे पास आ गई, और मैंने झट से पत्र को अपनी किताब में रख लिया। फिर मुझ से बात करके वो चली गई, मै उस पत्र की बात भूल गया। फिर वो मुझसे वही पुस्तक मांगने आई। मुझे याद न रहने की वजह से मैंने वो किताब उसे दे दी।थोड़ी देर बाद उसने मुझे जब किताब वापस की तो मुझे याद आया- यार ! उसमें तो मेरा पत्र था !मैंने जब किताब को खोला तो देखा कि वो पत्र वैसे ही है जैसे था, पर मुझे डर सा लगने लगा कि कुछ गड़बड़ ना हो जाए।अगले दिन मैं स्कूल नहीं गया। मुझे शक था कि उसने मेरा पत्र पढ़ लिया है।वो मेरे घर आई मेरी बहन से मिलने के लिए !मुझे थोड़ा बुखार था, मैं सो रहा था। वो आई और मुझसे पूछा- पूनम कहाँ है?मैंने बोला- अंदर है !वो बोली- आज स्कूल क्यूँ नहीं आए?मैंने कहा- यार, देखने से भी नहीं पता चल रहा क्या?तो बोली- बुखार सच का है या झूठ मूठ का बहाना बना रखा है !तब तक मेरी बहन आ गई और फिर दोनों अंदर चली गई। जब थोड़ी देर बाद वो जाने लगी तो मेरे पास आकर बैठ गई।मेरी बहन भी बोली- आज मनीष बहुत बीमार है, इसीलिए स्कूल नहीं गया।फिर उसने अपना हाथ मेरे सर पे रखा और बोली- बुखार तो अभी तक है ! दवाई ली या नहीं? कल फिर स्कूल नहीं जाना !यार मुझे बहुत जोर से गुस्सा आ रहा था। मैंने मन ही मन सोचा- साली डाँट तो ऐसे रही है जैसे मेरी घरवाली हो !फिर जब वो दोनों आपस में बातें करने लगे। तो मैं कंबल के नीचे से उसका हाथ दबाने लगा। उसने मेरी तरफ देखा और इशारे करने लगी कि पूनम यहीं है।पर मैं कहाँ मानने वाला था। मैंने उसका हाथ कंबल के अंदर करके दबाने लगा तो वो भी अपना हाथ टाईट कर के मेरा साथ देने लगी मेरी तो मानो मैं तो यही सोच रहा था कि मुझे यूँ ही कुछ दिनों तक बुखार रहे और मैं उसके हाथ के साथ खेलता रहूँ, पर कुछ देर बाद वो चली गई और मै बिस्तर पे पड़ा रहा।उसके जाने के बाद मैं बिस्तर से उठा और थोड़ा टहलने लगा। फिर सुबह मैं ठीक हुआ तो स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगा कि इतने में मेरे मामा जी आए और बोले कि चलो आज सब बाहर चलते हैं !मेरा भी मूड हो रहा था बाहर जाने का पर मैने मना कर दिया।यार कैसे-कैसे तो पटी है और ये मौका अगर हाथ से गया तब तो मैं लण्ड पकड़े ही रह जाऊँगा और कोई नहीं मिलेगा चोदने को !तो दोस्तो, मैं उस दिन, जब घर वाले बाहर चले गए, तो मैं स्कूल के लिए तैयार हो के निकलने लगा और घर में ताला लगाने लगा, तो मैंने देखा- मनीषा इधर ही आ रही है।आते ही बोली- आज तुम्हारे घर वाले कहाँ गए?मैंने कहा- यार ! वो आज घूमने गए हैं !उसने कहा- तुम नहीं गए?मैंने कहा- तुम्हारे बगैर क्या फायदा जाने का कहीं !तो हंसने लगी और बोली- अच्छा चलो, मुझे पानी पीना है ! पिलाओगे?मैने कहा- बस पानी?तो वो हंसने लगी। मेरी तो नियत खराब हो रही थी और वो हंस रही थी। मैने सोचा- बेटा, आज मौका अच्छा है ! लग जा काम पे।मैने उसे बिठाया और किचन में पानी लाने चला गया। मैं जब अंदर आया तो वो भी साथ आने लगी। मैंने कहा- मैं लाता हूँ न यार !तो बोली- नहीं ! तुम कुछ मिला के पिला दोगे तो?मैंने कहा- अरे नहीं यार ! तुम्हें पिला के नहीं बिना पिलाए सब कुछ करने का इरादा है !तो बोली- क्या-क्या ?मैने कहा- कुछ नही !नहीं ! आपने कुछ बोला था !मैंने कहा- तुम पानी पियो ! कुछ खाओगी ?तो बोली- क्या खिलाओगे?मैंने कहा- कहाँ से खाओगी?तो बोली- कहाँ से खिलाओगे?मैं बोला- जहाँ से तुम खाना चाहो !तो बोली- ठीक है ! तो फिर चले?मैने कहा- कहाँ?तो बोली- खाने !यार, मैं तो बस बातों से मजा ले रहा था, पर यह तो सच में मजा देने आई थी !फिर कहती- आज सिर्फ चूमना!मैने कहा- क्यो जी? आज व्रत है क्या?तो बोली- नहीं तो !मैंने कहा- तो क्या बात है?बोली- कौन्डम है? तो अभी करते हैं ! नहीं तो कल !तो मैंने कहा- इस कल कल में पता चले कि तुम्हारी शादी हो जाए और तुम चली जाओ यहाँ से !फिर बोली- है क्या?मैने कहा- क्या?तो बोली- कौन्डम !मैने बोला- है न !तो बोली- तुम कौन्डम रखते हो? छि-छि !!मैने कहा- अरे यार, ये मेरा नहीं, मेरे भाई का है ! उन्होंने भाभी के लिए लिया था पर मेरे हाथ लग गया।तो दोस्तो ! मैंने उसे अपने बेड पे चलने के लिए कहा, तो बोली- मेरे पांव में दर्द है !मैं उसे गोद में उठा के अपनी बिस्तर पे ले जाने लगा तो उसने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए।वाह-वाह-वाह क्या बताऊँ यार ! क्या चूसती है होठ ! मुझे पता नहीं था यार जब कोई लड़की आप के होंठ को चूसे तो इतना आनंन्द आता है।फिर मैंने आराम से उसे बिस्तर पे रखा और उसका साथ देने लगा और उसके मस्त-मस्त मोम्मे को मसलने लगा। यार दिल तो ऐसा कर रहा था इनको काट के रख लेता हूँ रात को अकेले में दबाऊँगा ! पर क्या करूँ साली काटने थोड़े ही देगी।दोस्तो वो तो पूरी वासना में डूबी हुई थी और साथ में मेरी हालत तो जैसे मुझे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी उतारने लगी और बोली- मनीष ! क्या तुम वो करोगे जो मैं करूँगी?मैंने कहा- आपका औरडर सर आंखों पर मैडम !तो वो मेरा लन्ड अपने मुँह में लेके चूसने लगी।वाह ! क्या बताऊँ यार, दिल तो कर रहा था कि इसके मुँह में ही सारा का सारा डाल दूँ पर क्या करूँ यार! वो जो कर रही थी बहुत मजा आ रहा था। मेरा तो एकबार उसके मुंह में ही हो गया।फिर मैंने कहा- अब मेरी बारी !मैं उसकी चूत को चाटने लगा और वो क्या आवाज निकाल रही थी यार ! पूरे कमरे में मानो अजीब सी आवाज गूंज रही हो आऽऽ इइइइइ आउ उउउउउउउउउउउ आउउउउउउ आाााााक्या कहूँ यार! क्या आवाजें थी ! मजा आ रहा था ! यार उसकी आवाज को सुन के !फिर अचानक वो जोर-जोर से चूत को उछालने लगी, मैं और जल्दी-जल्दी चाटने लगा। फिर उसकी चूत से सफेद पानी निकला और वो शान्त हो गई। फिर मेरे ऊपर आके लेट गई। मैं नीचे से ही अपना लन्ड निकाल के उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा और वो आहहह आहहहहहह करने लगी। फिर उसने मेरा लन्ड अपने हाथ में लेकर चूत के मुँह पे लगा लिया और हिलाने लगी और फिर उस के ऊपर बैठ गई। एक ही झटके में ऐसा लगा मानो मैं स्वर्ग में आ गया। फिर मैं नीचे से उसे पूरा सहयोग देने लगा और वो ऊपर से जोर-जोर से हिलने लगी और आहहहहआहहहहह आहहहहह एएएएएएएहहहहहह करने लगी।कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर आ गया और फिर जोर-जोर से धक्का लगाने लगा। कुछ देर बाद हम दोनों अपनी चरम-सीमा पर पहुँच चुके थे। उस दिन हमने ४ बार काम किया और फिर वो अपने घर चली गई आज की क्लास ले के।

दो दो को चोदा

मैं आज आपको दो आंटी को चोदने की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। मैं 25 सल का युवक हूं मुझे चोदने कि बहुत इच्छा थी लेकिन मुझे किसी को चोदने का मौका नहीं मिला था। मेरी पड़ोस में एक young couple रहता था। उनके साथ मेरे घरवालों का अच्छा रिश्ता था। उनके घर मेहेमान आये थे उन दोनो की मां एक साथ आयी थी। दो तीन दिन के बाद मेरे घर वालों ने और उस couple ने बाहर घुमने प्रोग्राम बनाया, मुझे जरूरी काम था इसलिये मैं जाने वाला नहीं था मैं घर में ही रहने वाला था। उस couple ने मेरे घर वालो को बोला की दीपक (मेरा नाम)हमारे घर खलेगा क्योंकि उनकी दो मातायें भी जाने वाली नहीं थी। मैं उनकी बातों पर मंजूर हो गया। दूसरे दिन वो सब घूमने के लिये चले गये,मैं ओफ़िस से वापस आने के बाद फ़्रेश होके tv देखता था तब फोन करके मुझे खाने को बुलाया। मैं गया मैं ने बेल बजायी एक आंटी ने दरवाजा खोला मैं घर में गया। मैने घर में जाके उन दोनो को देखा और मैं चकित हो गया वो दोनो बहुत ही खूबसूरत थी कोई सोच भी नहीं सकता कि वो एक 35 साल के couple की मातायें थी। उन दोनो ने साड़ी पहन रखी थी उनका ब्लाउज़ को उनके बूब्स पकड़के रखने में तकलीफ़ होती होगी, उनके सुंदर और गठीले बूब्स ब्लाउज़ को तोड़ के बाहर आने को मांगते थे उनके काला बाल किसी नागिन जैसे लगते थे, खूब सूरत नशीली आंखें और गठीला बदन मैं देखता ही रहा। तो उनमे से एक बोली क्या देखते हो बैठो यूं खड़े ही रहोगे क्या तब मैने कहा कि तुम्हे मैं पहले बार देखता हूं और मैं तुम्हे पहचानता नहीं हूं इसलिये तुमको देखता हूं। मेरी आपसे ये पहली मुलाकात है, तो वो बोली हा जी और मैं सोफ़े पर बैठ गया। उन दोनो ने अपना अपना introduction करवाया, जो लड़के की मां थी उसने अपना नाम रमा बताया दुसरी ने अपना नाम शीला बताया। मैने कहा तुम दोनो समधन हो।वो बोली हां, जी। फिर उन्होने खाने के टेबल पर मुझे बुलाया और हम खाने लगे। लेकिन खाना खाते समय मैं अजीब सा महसूस कर रहा था मैं उन दोनो का विचार ही कर रहा था और मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था वो दोनो मुझे देख के बोली क्या सोचते हो मैं ने कहा कुछ नहीं तो रमा बोली नहीं तुम कुछ छुपाते हो तब मैने कहा की तुम्हारी उमर वाली स्त्री को हमारे पड़ोसी की उमर का लड़का लड़की कैसे हो सकता है तो वो बोली तुम सही कहते हो, वो दोनो हमारी सौतन के बेटी बेटे हैं हम दोनो उनकी नयी मां है। हम दोनो की अपने अपने पति के साथ दस साल पहले शादी हुई थी और पांच साल के बाद मेरी लड़की की शादी शीला के लड़के के साथ हुई और उनकी शादी के दो साल बाद हमारे पति गुजर गये हमारी शादी हुई थी तब हमारे पति की उमर 50 साल थी हमारे कोई बच्चे नहीं हैं। उनकी बातों से मैं समझ गया कि उनकी सेक्स लाइफ़ अच्छी नहीं होगी हम लोगो ने खाना खा लिया उसके बाद उन्होने पूछा कि तुम ड्रिंक्स लोगे, मैने कहा कि नहीं फिर शीला ने बोला हम तो दारु पीने के आदी हैं हम रोज खाने के बाद पीते हैं मैने कहा मुझे कोई ऐतराज नहीं है फिर उन दोनो ने शराब पी। फिर हम तीनो सोफ़े पर बैठकर tv देखते रहे। मैं ने लुंगी पहनी थी मैं सोफ़े के सामने वाली कुर्सी पे बैठा था मेरा लौड़ा खड़ा था मेरी बगल में रमा बैठी थी। वो मेरे खड़े लौड़े को देख रही थी, उनकी नज़र मेरे लौड़े पर थी मैने उनको लौड़े को देखते देख लिया तो वो शरमा गयी। मैने उनको पूछा कि क्या देखती हो तो वो कुछ बोली नहीं लेकिन रमा ने कहा वो तुम्हारी लुंगी देखती है मैने कहा कि लुंगी में देखने जैसा क्या है तो वो बोली तुम्हारी लुंगी हिलती क्यों है? वो देखती है, मैने कहा मुझे पता नहीं तुम मुझे बताओ कि लुंगी क्यों हिलती है तो वो मेरे पास आयी।और बोली कि देखो यहां से हिलती है ऐसा बोल के उसने मेरे लौड़े पर हाथ रख दिया और बोली ये क्या है तो मैं बोला खुद देख लो उन दोनो पर शराब का असर हो चुका था मैं भी, आज उन दोनो को चोदने मिलेगा, इसलिये खुश था तो रमा ने मेरी लुंगी उठाई और मेरे खड़े लंड को देख कर बोली ये लंड है कि हथौड़ा फिर मैने उनको खींच के अपनि गोद में बिठाया और उनका बलाउज़ मैने खोल दिया हुक भी खोले उनके घांघरे का हिस्सा उसने ऊपर किया और बोली देखो ये लंड का घर है उसको इसमे रखो फिर इतने में रमा आयी और शीला को मेरे गोद मैं देख के बोली गोद में क्यों बैठी है पलंग पे ले जा तब मैं ने रमा को अपनी तरफ़ खींचा और उसका नाड़ा खोल दिया और उनकी पुस्सी को सहलाने लगा अब मेरा एक हाथ में शीला के बूब्स थे, दूसरे हाथ में रमा की पुस्सी। उसके बाद हम तीनो बेडरूम में आये मैने उनदोनो को नंगा कर दिया था उन्होने मुझे और वो दोनो मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी फिर मैने रमा के बूब्स चूसने लगा।शीला मेरे लंड को चूसने लगी बाद मैं रमा ने शीला को हटा दिया और वो लंड को पीने लगी और मैं रमा की चूत को चाटने लगा और एक उंगली रमा की चूत में डाल के हिलाने लगा दोनो मस्त हो चुकी थी फिर रमा ने मुझको लिटा दिया मेरा लंड अपनी चूत में डाल लिया, मैं जोर से अंदर बाहर करने लगा वो गालियां बोलती रही और वो और मैं एक साथ खल्लास हो गये फिर शीला और रमा ने लंड के साथ खेलने लगी मेरा लंड फिर से तैयार हो गया और इस बार शीला ने लंड को अपनी बुर में ले लिया और मैं अंदर बाहर करने लगा वो भी खुश होकर गालियां बोलने लगी ओर काफ़ी देर के बाद वो भी खल्लास हो गयी उसके बाद सारी रात ये चोदा-चादी चलु रही। दोस्तों मेरी ये स्टोरी कैसी लगी male &women pls email me

दो सहेलियां
यह कहानी दो सखियों की है। दोनों आपस में बहुत ही प्यार करती थी, यूं कहिये कि जान छिड़कती थी। ये दो सखियां है रीता शर्मा और कोमल सक्सेना। साथ साथ ही कॉलेज में पढ़ी, आपस में एक दूसरे की राजदार रही थी। रीता की शादी उसके ग्रेजुएट होते ही हो गई थी। दोनों ने पोस्ट ग्रेजुएट करने बाद एक प्राईवेट फ़र्म में नौकरी कर ली थी। पर रीता के पति राकेश को ये अच्छा नहीं लगा तो उसने नौकरी छोड़ दी थी।उसकी किस्मत ने जैसे पल्टी खाई, राकेश को कुवैत में अच्छा काम मिल गया, वो जल्दी ही वहाँ चला गया। रीता ने कोमल को अपने साथ रहने के लिये बुला लिया। हालांकि कोमल अकेली रहना पसन्द करती थी, क्योंकि उसके विकास और उसके दोस्त समीर से शारीरिक सम्बन्ध थे। रीता को ये सब मालूम था पर उसने अपने प्यार का वास्ता दे कर कोमल को अपने घर में रहने के लिये राजी कर लिया।रीता ने अपने घर में सामने वाला कमरा दे दिया। विकास और समीर ने कोमल को कमरा बदलने में बहुत सहायता की। पर शायद कोमल को नहीं पता था कि विकास और समीर की वासना भी नजरे रीता पर गड़ चुकी है। कोमल की ही तरह रीता भी दुबली पतली थी, तीखे मयन नक्शे वाली थी, बस शादी के बाद उसने साड़ी पहनना आरम्भ कर दिया था।चुदाई का अनुभव कोमल को रीता से बहुत अधिक था, वो हर तरह से अपनी वासना शान्त करना जानती थी। इसके विपरीत रीता शादी के बाद कुंए के मेंढक की तरह हो गई थी। चुदाने के नाम पर पर बस वो अपना पेटीकोट ऊपर उठा कर राकेश का लण्ड ले लेती थी और दो चार धक्के खा कर, झड़ती या नहीं भी झड़ती, बस सो जाया करती थी। झड़ने का सुख रीता के नसीब में जैसे बहुत कम था। आज राकेश को कुवैत गये हुये लगभग दो साल हो गये थे, हां बीच बीच में वो यहा आकर अपना वीसा वगैरह का काम करता था और जल्दी ही वापस चला जाता था।पर आज रीता को देख कर कोमल को बहुत खराब लगा। बर्तन धोना, कपड़े धोना, खाना बनाना ही उसका काम रह गया था।आज वो नल पर कपड़े धो रही थी। उसने सिर्फ़ पेटीकोट और एक ढीला ढाला सा ब्लाऊज पहन रखा था। उसके दोनों चूंचियाँ ब्लाऊज में से हिलती जा रही थी और बाहर से स्पष्ट नजर आ रही थी। उसके अस्त व्यस्त कपड़े, उलझे हुये बाल देख कर कोमल को बहुत दुख हुआ। विकास तो अक्सर कहता था कि इस भरी जवानी में इसका यह हाल है तो आगे क्या होगा ... इसे सम्भालना होगा ... ।फिर एक दिन कोमल ने देखा कि रीता अपने बिस्तर पर लेटी करवटें बदल रही थी। उसका एक हाथ चूत पर था और एक अपनी चूंचियों पर ... । शायद वो अपनी चूत घिस घिस कर पानी निकालना चाह रही थी। उसे देख कर कोमल का दिल भर आया। वो चुपचाप अपने कमरे में आ गई। फिर आगे भी उसने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में से देखा, रीता ने अपना पेटीकोट ऊपर उठा रखा था और अंगुली अपनी चूत में डाल कर हस्त मैथुन कर रही थी।शाम को कोमल ने हिम्मत करके रीता को बहुत ही अपनेपन से कह दिया,"मेरी प्यारी सखी ... बोल री तुझे क्या दुख है?""मेरी कोमल, कुछ दिनों से मेरा मन, भटक रहा है ... और ये सब तेरे विकास का किया हुआ है !""नहीं रे, वो तो भोला भाला पंछी है ... मेरे जाल में उलझ कर फ़ड़फ़ड़ा रहा है ... वो कुछ नहीं कर सकता है ...!""सच है री सखी ... उसकी कामदेव सी निगाहों ने मुझे घायल कर दिया है ... उसका शरीर मुझे किसी काम देवता से कम नहीं लगता है ... मेरे तन में उसे देख कर अग्नि जल उठती है, तन मन राख हुआ जा रहा है !" रीता की आहों में वासना का पुट स्पष्ट उभर कर कर आ रहा था, स्वर में विनती थी।"सखी रे सखी ... तुझे उसका काम देव जैसा लिंग चाहिये अथवा उसकी प्रीति की भी चाह है?" रीता की तड़प और आसक्ति देख उसका मन पिघल उठा।"ना रे सखी ... तेरी दया नहीं ... उसका प्यार चाहिये ... दिल से प्यार ... हाय रे ...!" उसका अहम जाग उठा।कोमल ने अपना तरीका बदला,"सखी ... तू उसे अपने जाल में चाहे जैसे फ़ंसा ले ... और तन की जलन पर शीतल जल डाल ले ... तब तक मुझे ही अपना विकास समझ ले !" कोमल के मन में रीता के लिये कोमल भावनाएँ उमड़ने लगी ... उसे समझ में आ गया कि ये बेचारी अपने छोटे से जहाँ में रहती है, पर कितनी देर तक तड़पती रहेगी।रीता भी अपनापन और प्रीति पा कर भावना से अभिभूत हो गई और कोमल के तन से लता की तरह लिपट पड़ी, और कोमल के गुलाबी गालों पर मधुर चुम्बनो की वर्षा कर दी। कोमल ने उसकी भावनाओं को समझते हुए रीता के होंठ चूम लिये और चूमती ही गई। रीता के मन में कुछ कुछ होने लगा ... जैसे बाग की कलियाँ चटकने लग गई। उसकी चूंचियाँ कोमल की चूंचियों से टकरा उठी ... और मन में एक मीठी टीस उठने लगी। उसे अपनी जीवन की बगिया में जैसे बहार आने का अहसास होने लगा।"कोमल, मेरे मन में जैसे कलियाँ खिल रही हैं ... मन में मधुर संगीत गूंज रहा है ... मेरे अंगो में मीठी सी गुदगुदी हो रही है ... ! " रीता के होंठो से गीलापन छलक उठा। कोमल के भी अधर भीग कर कंपकंपाने लगे। अधरों का रसपान होने लगा। जैसे अधरों का रसपान नहीं, शहद पी रहे हों। फिर जैसे दोनों होश में आने लगे। एक दूसरे से दोनों अलग हो गईं।"हाय कोमल, मैं यह क्या करने लगी थी ... " रीता संकुचा उठी ... और शर्म से मुख छिपा लिया।"रीता, निकल जाने दे मन की भावनाएँ ... मुझे पता है ... अब समय आ गया है तेरी प्यास बुझाने का !""सुन कोमल, मैंने तुझे और विकास को आपस में क्रीड़ा-लीन देखा ...तो मेरे मन विचलित हो गया था !" रीता ने अपनी मन की गांठें खोल दी।"इसीलिये तू अपने कमरे में हस्तमैथुन कर रही थी ... अब सुन री सखी, शाम को नहा धो कर अपन दोनों आगे पीछे से अन्दर की पूरी सफ़ाई कर के कामदेव की पूजा करेंगे ... और मन की पवित्र भावनाएँ पूरी करेंगे ...! " कोमल ने एक दूसरे के जिस्म से खेलने का निमंत्रण दिया।"मेरी कोमल ... मेरी प्यारी सखी ... मेरे मन को तुझ से अच्छा कौन जान सकता है? मेरा प्यारा विकास कब मुझे प्यार करेगा ? ... हाय रे !" रीता ने निमंत्रण स्वीकार करते हुये उसे प्यार कर लिया। मैने मोबाईल पर विकास को समझा दिया था ... कि उसके प्यारे लण्ड को रीता की प्यारी चूत मिलने वाली है।संध्या का समय हो चला था। सूर्य देवता अपने घर की ओर जा रहे थे। कहीं कोने में छुपा अंधकार सारे जहां को निगलने का इन्तज़ार कर रहा था। शैतानी ताकतें अंधेरे की राह ताक रही थी। जैसे ही सूर्य देवता का कदम अपने घर में पड़ा और रोशनी गायब होने लगी, शैतान ने अपने आप को आज़ाद किया और सारे जहाँ को अपने शिकंजे में कसने लगा। सभी के मन में पाप उभर आये। एक वासना भरी पीड़ा उभरने लगी। कामदेव ने अपना जादू चलाया।इन्सान के अन्दर का पागलपन उमड़ने लगा। सभी औरतें, लड़कियाँ भोग्य वस्तु लगने लगी। मासूम से दिखने वाले युवक, जवान लड़कियों को कामुक लगने लगे ... उनकी नजरें उनके बदन पर आकर ठहर गई। मर्दों का लिंग उन्हें कड़ा और खड़ा दिखने लगा। इधर ये दोनों सखियां भी इस सबसे अछूती नहीं रही। कोमल और रीता भी नहा धोकर, पूर्ण रूप से स्वच्छ हो कर आ गई।दोनों जवानियाँ कामदेव का शिकार बन चुकी थी। दोनों की योनि जैसे आग उगल रही थी। शरीर जैसे काम की आग में सभी कुछ समेटने को आतुर था। कमरे को भली भांति से बंद कर दिया। दोनों ने अपनी बाहें फ़ैला दी ... कपड़े उतरने लगे ... चूंचियाँ कड़क उठी, स्तनाग्र कठोर हो कर इतराने लगे। कोमल नंगी हो कर बिस्तर पर दीवार के सहारे पांव लम्बे करके बैठ गई और नंगी रीता को उसने अपनी जांघों पर उल्टा लेटा लिया।रीता के चूतड़ों को कोमल ने बिल्कुल अपने पेट से सटा लिया और उसके चूतड़ो को सहलाने लगी और थपथपाने लगी। रीता ने आनन्द के मारे अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपने प्यारे गोल गोल चूतड़ों की फ़ांकें खोल दी। कोमल रीता की गाण्ड को सहलाते हुये कभी उसके दरारों के बीच सुन्दर से भूरे रंग के फ़ूल को भी दबा देती थी। हल्के तमाचों से चूतड़ लाल हो गये थे ... थूक लगा लगा कर फ़ूल को मसलती भी जा रही थी।"कोमल ... हाय अति सुन्दर, अति मोहक ... मेरे पति के साथ इतना सुख कभी नहीं मिला ... " रीता कसकती आवाज में बोली।"अभी तो कुछ नहीं मेरी सखी, देख ये दुनिया बड़ी रसीली है ... मन को अभी तो जाने क्या क्या भायेगा ... " कोमल ने चूतड़ो के मध्य छेद पर गुदगुदी करते हुये कहा। कोमल की अंगुलियाँ उसके फ़ूल को दबाते हुये फ़क से भीतर घुस गई। रीता चिहुंक उठी। उसे एक नये अद्वितीय आनन्द की अनुभूति हुई। दूसरा हाथ उसके सुन्दर और रस भरे स्तनो पर था। उसके कठोर चूचुकों को मसल रहे थे। कोमल की अंगुलियां उसकी मुलायम गाण्ड में जादू का काम कर रही थी। उसकी चूत में एक आनन्द की लहर चलने लगी और वह जैसे मस्ती महसूस करने लगी। उसके चूतड़ों को दबाते हुये अंगुली छेद के अन्दर बाहर होने लगी।रीता मस्ती के मारे सिसकने लगी। इस तरह उसके पति ने कभी नहीं किया था। उसके मुख से सिसकी निकल पड़ी।"क्या कर रही है कोमल ... बहुत मजा आ रहा है ... हाय मैं तो गाण्ड से ही झड़ जाऊंगी देखना ... ।" उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी।अब कोमल अंगुली निकाल कर उसकी गुलाबी चूत में रगड़ने लगी, उसका दाना अंगुलियो के बीच दब गया। रीता वासना की मीठी कसक से भर गई थी।कोमल ने उसे चौपाया बन जाने को कहा। उसने अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये, कोमल का उसके प्यारे गाण्ड के भूरे छेद पर दिल आ गया और उसकी जीभ लपलपाने लगी ... और कुछ देर में उसके छेद पर जीभ फ़िसल रही थी। सफ़ाई के कारण उसमें से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी ... उसके मस्त छेद को हाथों से खींच कर खोल लिया और जीभ अन्दर ठेल दी। खुशी के मारे रीता का रोम रोम नाच उठा।तभी विकास का मिस-कॉल आ गया। कोमल समझ गई कि विकास दरवाजे के बाहर खड़ा है। उसने जल्दी से अपना गाऊन लपेटा और बैठक की तरफ़ चल दी।"मेरी सखी, अपनी आखे बंद कर ले और सपने देखती रह, बाहर कौन है मैं देख कर आती हूँ" कोमल ने रीता से प्यार भरा आग्रह किया और बाहर बैठक में आ कर मुख्य दरवाजा खोल दिया। विकास तुरन्त अन्दर आ गया ... कोमल ने उसे तिरछी निगाहों से देखा।"मेरी प्यारी सखी रीता चुदने के लिये तैयार है ... उसे कामदेव का ही इन्तज़ार है ... " कोमल ने वासना भरे स्वर में कहा।"अरे ये कामदेव कौन है ... उसकी तो मै मां ... ।" विकास ने तैश में आ कर आंखे दिखाई।"आप हैं ... जो कामदेव का रूप ले कर आये हो ... वो देखो ... उस बाला की प्यारी सी चूत और उभरे हुये चूतड़ो के गोल गोल प्याले ... तुम्हारे मोटे और लम्बे, प्यारे से लिंग राह देखते हुये अधीर हुए जा रहे हैं ... ""ओये ... अधीर दी माँ दी फ़ुद्दी ... मैंने जी बहुत मुठ मारी है रीता जी के नाम की ... " विकास ने दूर से ही रीता ही हालत देख कर मचल उठा।"अपने लण्ड को जरा और भड़कने दे ... चोदने में मजा आयेगा ... " कोमल ने हंसते हुये विकास को आंख मारी। कोमल ने विकास को अपनी बाहो में लिया और और उसके लण्ड को दबाने लगी।"चल रे विकास तू उसे बाद में चोदना, पहले मेरी जवानी का मजा तो ले ले ... चल यही खड़े खड़े लौड़ा लगा कर चोद दे !" कोमल से उत्तेजना और नहीं सही जा रही थी। विकास को भी अपना लण्ड कहीं तो घुसेड़ना ही था।"चल यार, पहले तेरी फ़ुद्दी मार लूँ, ओह्ह मेरा लण्ड भी तो देख कैसा पैन्ट को फ़ाड़ने पर तुला है !" कोमल ने उसका पैन्ट खोल दिया। उसने भी अपना गाऊन निकाल फ़ेंका। कोमल ने उसका गोरा लण्ड थाम लिया और मुठ मारते हुये विकास को चूमने लगी।कोमल ने अपनी एक टांग उठा कर पास की कुर्सी पर रख दी और अपनी चूत खोल दी। विकास को समीप खींच कर उसका लौड़ा चूत से भिड़ा दिया। विकास ने अपने चूतड़ो का दबाव उसकी खुली चूत पर डाल दिया और उसका प्यारा लण्ड कोमल ने अपनी चूत में घुसा लिया। अब दोनों ही लिपट पड़े और अपने कमर को एक विशेष अन्दाज में हिलाने लगे, लण्ड ने चूत में घुस कर सुरसुरी करने लगा और उसका मजा दोनों उठाने लगे।उनके चूतड़ों का हिलना तेज हो गया और कोमल की चूत पनियाने लगी। वैसे ही वो रीता के साथ पहले ही उत्तेजना से भरी हुई थी। कोमल की आंखें मस्ती से बन्द होने लगी और अनन्त सुखमई चुदाई का आनन्द उठाने लगी। अब कोमल के मुख से रुक रुक कर सिसकारियाँ निकलने लगी थी और चूत को जोर जोर से विकास के लण्ड पर मारने लगी थी। फिर एक लम्बी आह भरते हुए उसने विकास के चूतड़ों को नोच डाला और कोमल का रज निकल पड़ा। अब उसकी टांगे कुर्सी पर से नीचे जमीन पर आ गई थी। कोमल विकास का लण्ड चूत में लिये झड़ रही थी। दोनों लिपटे हुए थे। पर विकास का लण्ड अभी तक उफ़न रहा था, उसे अब रीता चाहिये थी जिसके लिये कोमल ने उसे बुलाया था। कोमल अपनी चुदाई समाप्त करके अन्दर कमरे की ओर बढ़ गई।कोमल और विकास रीता के पास जाकर खड़े हो गये। रीता वासना की दुनिया में खोई अभी तक ना जाने क्या सोच कर आंखे बंद किये सिसकारियाँ भरे जा रही थी। विकास ने ललचाई निगाहों से रीता के एक एक अंग का रस लिया और अपने हाथ कोमलता से उसके अंगों पर रख दिये। मर्द के हाथों का स्पर्श स्त्री को दुगना मजा देता है ... रीता को भी मर्द के स्पर्श का अनुभव हुआ और सिसकते हुये बोली,"कोमल, तेरे हाथो में मर्द जैसी खुशबू है ... मेरे अंगों को बस ऐसा ही मस्त मजा दे ... काश तेरे लिंग होता ... सखी रे सखी ... हाय !"विकास ने उसकी चूत, गाण्ड और चूंचियां मस्ती से दबाई। उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। उसे अब बस चूत चाहिए थी ... ।"तुझे सच्चा लण्ड चाहिए ना ... कामदेव को याद कर और महसूस कर कि तेरी चूत में कामदेव का लण्ड है ... " कोमल ने रीता को चूमते हुये विकास का रास्ता खोला।"मुझे ! हाय रे सखी, कामदेव का नहीं उस प्यारे से विकास का मदमस्त लौड़ा चाहिये, मेरी इस कमीनी चूत की प्यास बुझाने के लिये !" उसकी कसकती आवाज उसके दिल का हाल कह रही थी। अपना नाम रीता के मुख से सुनते ही विकास के मुख पर कोमलता जाग उठी, चेहरे पर प्यार का भाव उभर आया। उसने भावना में बह कर अपनी आंखें बंद कर ली, जैसे रीता को सशरीर अपनी नयनों में कैद कर लिया हो। विकास ने एक आह भरते हुये रीता के उभरे हुये गोल गोल चूतड़ो पर प्यार से हाथ फ़ेरा और फिर नीचे झांक कर चूत को देखा और और अपने तन्नाये हुये लण्ड को प्यार से उसके चूत के द्वार पर रख दिया। लण्ड का मोहक स्पर्श पाते ही जैसे उसकी चूत ने अपना बड़ा सा मुँह खोल दिया और गीली चूत से दो बूंदे प्यार की टपक पड़ी। लण्ड ने चूत पर एक लम्बी रगड़ मारी और द्वार को खोल कर भीतर प्रवेश कर गया। रीता को जैसे एक झटका सा लगा उसने तुरंत आँखें खोल दी और अविश्विसनीय निगाहों से पीछे मुड़ कर देखा ...अपनी चूत में विकास का लण्ड पा कर जैसे वो पागल सी हो गई। एक झटके से उसने उसका लण्ड बाहर निकाला और लपक कर उससे लिपट गई। दो प्यार के प्यासे दिल मिल गये ... जैसे उनकी दुनिया महक उठी ... जैसे मन मांगी मुराद मिल गई हो ... दोनों ही नंगे थे ... दोनों के शरीर आपस में रगड़ खा रहे थे, दोनों ही जैसे एक दूसरे में समा जाना चाहते थे। रीता को लगा जैसे वो कोई सपना देख रही हो।"मैं सपना तो नहीं देख रही हूँ ना ... हाय रे विकास ... आप मुझे मिल गये ... अब छोड़ कर नहीं जाना ... " रीता भावना में बहती हुई कहने लगी।"रीता जी, आप मुझे इताना प्यार करती हैं ... " विकास का मन भी उसके लिये तड़पता सा लगा।"मेरे विकास, मेरे प्राण ... मेरे दिल के राजा ... बहुत तड़पाया है मुझे ... देख ये प्यासा मन ... ये मनभाता तन ... और ये अंग अंग ... राजा तेरे लिये ही है ... तेरा मन और तन, ये अंग मुझे दे दे ... हाय राम जी ... कोमल ... मेरी प्यारी सखी, तू तो मेरी जान बन गई है रे ... " रीता की तरसती हुई आवाज में जाने कैसी कसक थी, शायद एक प्यासे मन और तन की कसक थी। रीता को विकास ने प्यार से ने नीचे झुका कर अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया।"रीता, मेरा लण्ड चूसो ... तुम्हारे प्यारे प्यारे अधरों का प्यार मांग रहा है !""मैने कभी नहीं चूसा है ... प्लीज नहीं ... ""मीठी गोली की तरह चूस डालो ... मजा आयेगा !" कोमल ने भी विकास का लण्ड पकड़ कर रीता के मुँह में डालने की कोशिश की।रीता ने कोमल का हाथ जल्दी से हटा दिया ... "कोमल तुम जाओ अब यहाँ से ... मत छूओ मेरे विकास को ... " रीता ने विकास का लण्ड अपने मुख में समा लिया और चूसने लगी। कोमल रीता की खुली हुई गाण्ड में अंगुली डाल कर उसे गुदगुदी करने लगी। रीता की परवान चढ़ी हुई वासना को जैसे एक सीढ़ी और मिल गई। वो अपने चूतड़ को हिला हिला कर मेरी अंगुली का मजा लेने लगी। यह सब आनन्द उसे पहली बार नसीब हो रहा था, सो वह बहुत ही उत्तेजित हो कर अपने कमनीय बदन का बेशर्मी से संचालन करने लगी थी। अब रीता ने लण्ड मुख से बाहर निकाल लिया और विकास से लिपट गई।"राजा अब नहीं रहा जाता है ... हाय अब अन्दर घुसेड़ दो ना ... " रीता ने वासना भरी सीत्कार भरी।दोनो ही आंखे बंद किये हुए एक दूसरे में समाने की कोशिश में लग गये ... कि रीता के मुख से आह निकल पड़ी। विकास के लण्ड ने अपनी राह ढूंढ ली थी। प्यासा लण्ड चूत में उतर चुका था। विकास रीता के ऊपर चढ़ चुका था, रीता के दोनों पांव विकास की कमर से लिपट कर जकड़ चुके थे। रीता की चूत अपने आप को ऊपर की उठा कर लण्ड को लील लेना चाह रही थी, और विकास के चूतड़ो का जोर रीता की नरम चूत पर दबाव डाल रहा था। दोनों ने अपना अपना काम पूरा कर लिया, लण्ड पूरा अन्दर जा चुका था और मीठी मीठी वासना की जलन से विकास का लण्ड रीता की चूत में रस भरी बूंदे भी टपकाता जा रहा था। रीता भी मनपसन्द लण्ड पा कर अपनी चूत का पानी बूंदो के रूप में निकालती जा रही थी।कोमल ने इन दोनों को प्यार से देखा ... और रीता के चूतड़ों पर हल्के हल्के हाथों से मारने लगी। दोनों एक दूसरे के कोमल अंगो को अपने अन्दर समेटे हुये, प्यार से एक दूसरे को दे रहे थे, कस कस कर चूम रहे रहे थे, रीता के स्तन जैसे मस्त हो कर कुलांचे मार रहे थे, आगे पीछे डोलते जा रहे थे और विकास के हाथो में मसले जा रहे थे।वो दोनो धीरे धीरे आपस में अपने चूत और लण्ड को आगे पीछे जैसे रगड़ रहे थे ... पीस रहे थे ... लण्ड चूत में पूरा घुसा हुआ जैसे गहराई में गर्भाशय के मुख को खोलने की कोशिश कर रहा हो। उसकी पूरी चूत में अन्दर तक मिठास भरी लहर चल रही थी। चूत जैसे लण्ड को अपनी दीवारों से लपेट रही थी और दोनों एक जैसे ना खत्म होने वाले आनन्द में डूब गये थे। दोनों की आंखे बंद थी और इस स्वर्गीय सुख के आनन्द में खोये हुये थे। अचानक विकास ने अपनी गाण्ड उठाई और चूत में लण्ड मारना आरम्भ आरम्भ कर दिया। रीता भी अपने प्यारे चूतड़ो को उछालने लगी और लण्ड को अपनी चूत में पूरा समेटने की कोशिश करने लगी। रीता से अब अपना यौवन सम्भाले नहीं सम्भल रहा था ... उसका अंग अंग मदहोशी से चूर हो रहा था।विकास का लण्ड जैसे फूलता जा रहा था ... उसके जिस्म में कसावट आती जा रही थी। यौवन रस अब चूत द्वार से निकलना चाहता था ... रीता के जबड़े कस गये थे और वासना से उभर आये थे, दांत किटकिटाने लगे थे, चेहरा विकृत होने लगा था, उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अब वो एकाएक चीख उठी ... तड़प उठी ...यौवन रस रिसता हुआ चूत से निकल पड़ा ... उसके जिस्म में लहरे उठने लगी ... रस ने जिस्म का साथ छोड़ दिया और चूत द्वार से बाहर चू पड़ा। जैसे जैसे उसका रस निकलता गया वो शांत होने लगी ...पर विकास का लौड़ा अभी भी बड़ी ताकत के अन्दर बाहर आ जा रहा था ... उसे भी पता था कि अब उसका लण्ड पिचकारी छोड़ने वाला है। उसने अपना लण्ड चूत से बाहर निकाल लिया और हाथ में लेकर उसे जोर से दबा दिया। उसके मुख से जैसे गुर्राहट सी निकली और वीर्य ने एक तेज उछाल मारी।कोमल से रहा नहीं गया ... और लण्ड की तरफ़ लपक पड़ी और इसके पहले कि दूसरा उछाल निकलता, विकास का लण्ड कोमल के मुख में था और बाकी का वीर्य कोमल के गले में उतरने लगा ...रीता निढाल सी चित्त लेटी हुई थी और गहरी सांसें ले रही थी। अब रीता को कोई शिकवा नहीं था ... उसकी चूत चुद चुकी थी और उसे चोदने के लिये एक मोटा और लम्बा लण्ड मिल गया था ... जो उसे भी प्यार करने लगा था।"विकास, रीता को तुमने इतने प्यार से चोदा ... इसके लिये मैं और रीता आपके बहुत आभारी हैं !" कोमल ने विकास का शुक्रिया अदा किया।विकास हंस पड़ा,"आभारी ... हा हा हा ... क्या बात है कोमल ... बड़ी फ़ोर्मल हो गई हो ... " विकास की हंसी छूट पड़ी।"रीता जी बहुत मस्त हो कर चुदाती हैं ... मेरा तो इन्होंने दिल ही चुरा लिया है !" विकास ने प्यार भरी नजरों से रीता को निहारा।"चुप रहो जी ... तुम तो कोमल के दिल में रहते हो ... मुझे झांसा मत दो !" रीता ने बिस्तर से उठते हुये कहा।"अरे नहीं रे पगली, ये तो मेरा दोस्त है बस ... ये तो मुझे चोदता है ... प्यार तो तू करती है ना ... बस अपना दिल तू विकास को दे दे और बदले में उसका दिल ले ले !" कोमल ने दोनों को अपना रुख स्पष्ट कर दिया। रीता और विकास ने एक दूजे को प्यार से देखा और फिर से एक दूसरे से लिपट पड़े और कस कर जकड़ लिया, होंठ से होंठ जुड़ गये, प्यार करने लगे ... जवानी की कसमें खाने लगे ... चांद तारे तोड़ कर लाने का वादा करने लगे ... संग जीने और मरने की कसमें खाने लगे ...कोमल ने उनके मन की तरंगो को समझा व वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी ... ।

Tuesday, April 20, 2010

पूर्णिमा की पहली चुदायी
पूर्णिमा की खाड़ी में fucked के लिए पहली बार मेरा नाम है 32 बालू से पलक्कड़, साल सिविल इंजीनियर काम कर के रूप में और पुरानी। मैं मानव डाइजेस्ट के एक नियमित पाठक हूं। मैं बहुत बहुत इस लिख रहा हूँ आभारी करने के लिए लेखकों ने लिखा है जो उनकी घटनाओं बनाया जो साहसपूर्वक बहुत साहस मुझे. मैं भी मेरे पास होता हुआ जैसे साझा करने के लिए उस घटना के एक असली. यह एक 18 साल की लड़की है जब वह हमारे गाँव में आने के लिए अपने दादा दादी के साथ वार्षिक परीक्षा के बाद व्यवसाय खर्च के साथ था. उसका नाम पूर्णिमा है. उस समय मैं अपनी डिग्री कर रही थी. मैं भी रेलवे स्टेशन गया था करने के लिए पूर्णिमा प्राप्त (उसके दादाजी ने मुझे बताया कि वे Ponnu द्वारा उसे कहा जाता है). जब वह उनके घर तक पहुँच में वे कुछ भी कर रहे हैं जैसे बहुत खुश है, समय है क्योंकि एक लंबे समय के देखने के लिए उसके लिए वे नहीं भागों. वह स्त्री थी, अच्छी लग आकार ... wheetish रंग और महान. हम एक छोटे से धान के खेतों से भरा से घिरे गांव में रहते थे. पूर्णिमा की भव्य माता पिता हमारे गाँव में खेती के लिए पर्याप्त भूमि है. पीढ़ी तक हमारे परिवार, खेती देखने के बाद पूरे देश और मेरे पिता अब इस कर रहे हैं. उस की वजह से मैं इस परिवार के साथ एक अच्छा रिश्ता चल रहा है. पहले तीन या चार दिनों से मैं उसे घर के बाहर नहीं देखा था. कुछ दिनों बाद, जब मैं अपने देश के लिए गया था मेरे पिता की मदद वह वहाँ था. हम अच्छे दोस्त बन आकस्मिक बाद. तीन, चार सप्ताह के और करीब हम कर रहे हैं में बहुत. वह मेरे साथ समय की बहुत खर्च करता है खेलने के लिए और उनके देश में मेरे साथ घूम. पहला यह सामान्य जा रहा था ... उसे स्त्री भागों और धीरे - धीरे निरंतर उपस्थिति के इस अच्छे मन अपने विचारों में जवान लड़की को देख शैतानों शुरू बनाने के लिए स्तनों की तरह हर किशोर के साथ खेलने के लिए शुरू लड़का है, मैं उसे एक में चिढ़ा तरीके और शुरू करने के लिए आँख. मैं कभी उसकी याद आती है पॅट किसी भी स्थिति में, उसके चुटकी, और मौका शुरू करने के लिए एक निचोड़ खेलने के लिए पूरी तरह से उसे गधे हो जब भी मैं किसी को भी. था वह भी करने के लिए आकर्षित सुंदर मुझे मेरे बिना और देख से खेलने की उम्मीद हमेशा इस प्रकार की. एक दिन उसके दादाजी ने मुझे बताया, वह घर में बोर हो रही है, तो उसे ले भूमि की खेती को दिखाने के लिए नए (जो वे नव हाल ही में लाया) ... जगह है. वह और उसके ताज़ा ..., वह भी बहुत नया बहुत exited देखने के लिए. तो मैं अगले दिन सुबह यह व्यवस्था की. मैं उसके साथ चला गया कृषि क्षेत्र दिखाते हैं. खेतों में लगभग 2 किमी हमारे घर से दूर है. हम चैट के साथ एक बहुत खेत करने के लिए रास्ता संकीर्ण के माध्यम से चला गया. वहाँ तक पहुँच के भीतर हम मैं घंटे चलने की. के बाद थोड़ा आराम ले मैं उसे अपने देश और अन्य फसलों को दिखाने के लिए शुरू करो. मज़ा आया और वह था के साथ खुश भरे जब वह उसके सामने अंतहीन हरियाली देखा. मेरे पिता वहाँ मुझे दिया है कुछ करने के लिए नौकरियों में ऐसा है, तो मैंने उससे कहा - "यहाँ रुको, मुझे क्या करना होगा करने के लिए छोटी नौकरियों, मैं कमरे की जरूरत पंप करने के लिए जाने के लिए फसलों की खेती नव पंप पानी के लिए," लेकिन वह वहाँ के साथ के लिए मुझे , वहाँ एक बहुत बड़ा तालाब था. मैं कमरे के अंदर चला गया पंप और पंप शुरू कर खत्म कर दिया. बाद काम है, मैं ले खेत दूसरी तरफ से उसे करने के लिए चलता है कि क्षेत्र. कुछ समय वहाँ खर्च हम मुख्य क्षेत्र में वापस आ गया के बाद. आसपास के अकेलेपन और लड़की शुरू एक उपस्थिति का मन बनाने के लिए मेरे सबसे खराब है, मैं जानबूझ कर एक स्थिति उसे आकर्षित कर रहा हूँ. मैंने उसे बताया कि थक गया और तालाब में स्नान के लिए जा रहा. मैं पंप के कमरे में चला गया और मेरे कपड़े निकाल दिया और शॉर्ट्स पहनने के साथ बाहर आया था. संयोग से मैंने उससे पूछा - "Ponnu, क्या तुम तैराकी पता?" उसने कहा - "नहीं चाचा. फिर मैंने पूछा - "यदि आप दिलचस्प हैं ... अब मैं आपको सिखा देगा?" वह थोड़ा हैरान ..., और shyly कहा - "ठीक है". मैं तालाब में कूद गया और एक छोटे से है, तो तालाब के कोने में आया और उससे कहा कि नीचे आ तैरना. धीरे धीरे वह पूल करने के लिए नीचे कदम. गुदगुदी उसे पानी की शीतलता, लेकिन वह बहुत पसंद है यह. पहले मुझे लगता है कि दिखाया पैर और उसे हिलाने की तरह हाथ जबकि तैराकी ... से पूछा, तो उसे पसंद करने के लिए. डर के कारण वह संकोच पहले ..., तब मैं अपने हाथ फैलाने और उसे कहा कि मेरे हाथों पर फ्लोट. जब वह मेरे हाथों पर बिछाने मैं मैं पसंद नहीं पूछा उससे पहले दिखाया. वह अपने हाथों और पैरों को स्थानांतरित करने शुरू कर दिया. शुरू उसे यह मुश्किल था, कभी कभी वह भी थोड़ा पानी पिया और उसके कपड़े पूर्ण गीला हो जाता है. लेकिन अधिक की कोशिश करता है के बाद वह धीरे धीरे थोड़ा आगे ले जाने लगे. मैं कमर पकड़ उसकी और उसके साथ साथ चलते हैं. उसने मुझे गले लगाया समर्थन के 15 मिनट के बाद महसूस किया वह थक गया और तैराकी के लिए वह कर सकते हैं बंद कर दिया है लेकिन उसकी गतिविधियों पर खुद नहीं फ्लोट इतना पानी. यह मुझे exited और मेरे दिल में वृद्धि को हरा, और मेरा मन खराब हो ..., मैंने स्थिति का फैसला उपयोग करने के लिए उसे. उसे मैं करने के लिए करीब खींच लिया और मेरे गले लगाया कसकर. एक लड़की को इस स्थिति रूक्ष उसे अंदर कुछ अजीब लग रहा उत्तेजित के रूप में! लेकिन वह सामान्य रूप में कार्य. फिर उसने मेरे हाथ फैला है और आरंभ करने के लिए तैरने. और मैं उसे समर्थन ..., लेकिन बाद एक, जबकि मैं ... मेरे हाथों पर नियंत्रण नहीं कर सकता, मैं धीरे धीरे हाथ ले जाया गया और मेरी कमीज उसे नीचे फिसल गया और नीचे ... की तरह एक दुर्घटना उसे पेट को छुआ, लेकिन वह भी इस पर प्रतिक्रिया नहीं किया था. चूँकि वहाँ से कोई विरोध नहीं था उसे ..., मैं और अधिक करने का निर्णय लिया थोड़ा आगे जाने के लिए ... मैं धीरे धीरे हाथ ऊपर ले जाया गया है मेरी ..., सलवार उल्लू पर उसका अधिकार उसे छुआ और थोड़ा यह निचोड़. मैं उसके सारे शरीर में कंपकंपी भावना के माध्यम से पारित कर सकते हैं. लेकिन अभी भी वह जवाब नहीं है या कुछ भी करने के लिए इस विरोध है. पुष्टि अब मैं, इस कार्य का नहीं था एक मासूम लड़की है, वह यह है ... यह भी आनंद ले, वह उसे जारी रखा तैराकी और मैं भी उसके साथ जाओ. उसी समय मैं उससे लगता है कि मैं यह जानबूझ कर रहा हूँ बिना धीरे धीरे उसे उल्लू निचोड़ जारी रखा. चाचा के बाद एक छोटे से उसका चेहरा बदल गया और उसने मुझे कहा - "आह ...,, तुम क्या ... क्या कर रहे हैं, क्या वहाँ गुदगुदी मुझे नहीं!" मैं एक पल के लिए. ... हो अवाक, मैं ने उसे पकड़ लिया है ... मैं braveness हासिल मेरे और उत्तर दिया - "ओह ... ... Ponnu, मूर्ख नहीं हो, तो आप यह पता है ...! और मुझे पता है कि तुम अच्छी तरह से इस का आनंद ले रहे हैं ... नहीं आप" वह सकता है? जवाब नहीं दिया, लेकिन मैं कुछ भी उसके चेहरे में उत्साह देखते हैं. यह मुझे और अधिक प्रोत्साहित किया. धीरे धीरे मैं उसे अपने हाथ में ले कसकर गले लगाया, और उसके होंठों पर चूमा. पहले मैं धीरे शुरू किया था लेकिन यह कुछ समय बाद मेरे मैं हार नियंत्रण ..., मैं कैंडी की तरह एक होंठ चबाना उसके हाथ. वह मेरे में कंपकंपी शुरू करने के लिए. मैं ... स्थिति सकता है उसे समझने, मन में उसकी गहरी है लेकिन वह मुझे एक मजबूत करने के लिए आग्रह करता हूं कि विरोध प्रदर्शन सभी उसे वापस लेने के विरोध में अजीब लग रहा है और उसके शरीर का अनुभव नहीं था, वह सुख जो पहले से अधिक फैल गया था सब. बेबसी वह मेरे हाथ में रखना नीचे . मैं उसे मेरे चेहरे से हटाया और पूछा - "? इससे पहले कि किसी को भी तुम इस तरह छुआ" उसने मुझे उसके दिल की उच्च धड़कता की वजह से उत्तर नहीं दे सका. कुछ सेकंड बाद में वह कांप आवाज में उत्तर दिया - "" और कोई सिर सिर हिलाया उसे ". अगर मैं और अधिक करते हैं, ऐसा जैसे आप" - मैं playfully उससे पूछा. उसने कुछ जवाब नहीं दिया. लेकिन से मैं उसे उसकी इच्छा को पढ़ सकता है चेहरा. वह थोड़ा डर लगा, लेकिन उत्तेजना उसके मन में एक चिंता बढ़ गई और अधिक अनुभव है. मैं हाथ ले मेरी उसके और पूल से बाहर आ ..., कमरे पंप सूखे से मिला हम दोनों मैं जो के साथ एक तौलिया. उसे गीला शरीर के सारे मुझे और उत्तेजित. उसके चूड़ीदार के नीचे की तरफ से बाहर डूब पानी की goblets, हवा की वजह से उसे कंपकंपी बढ़ गई. मैं चारों ओर देखा बैठने के लिए स्थान खोजने के लिए मैं. उच्च निर्देशित छोटे shrubs बढ़ रही है और उसके साथ कोने के पूल झाड़ियों जहां कुछ. भय के कारण उसने मुझसे कहा - "हम जा रहे थे चाचा"? मैंने कहा - "चिंता मत करो ..., मेरे साथ आओ ...., मैं तुम्हें कुछ दिखाना" होगा! "क्या कोई चाचा हम कर सकते हैं नोटिस कांप आवाज? आ रही जबकि" के साथ एक में मुझे वह पूछा. मैंने कहा - "चिंता मत करना Ponnu ..., यहाँ कोई नहीं अब इस क्षेत्र में विशेष रूप से आ जाएगा. हम दो फीट ऊंची स्थानांतरित अंदर पाँच जो झाड़ियों से अधिक बढ़ी है, तो कोई भी नहीं खड़ा कर सकते हैं आसानी से अंदर बाहर एक स्थान से है जो व्यक्ति को इंगित करें. सुरक्षित मैं उसे निर्देशित. बर्बाद समय मैं उसे मुझे खींच लिया और उसे बिना passionately ... उसके चेहरे, गाल, earlobes और होंठ चूम मैं कर सकता हूँ जहाँ शुरू कर दिया. धीरे धीरे मैं अपने मुँह में ले लिया और उसके होंठ चबाने गोंद बुलबुला उन्हें पसंद एक क्षेत्र है. उसके हाथ के नीचे मेरी डाला मैं कमीज और उसके पेट पर खेला. वह इतनी गरम हो गया और मेरे खेलने का आनंद ले शुरू कर दिया. मैं उसके पेट मालिश और उसके नाभि में अपनी तर्जनी सम्मिलित होती है. इस हाथ उसे गुदगुदी एक बहुत ..., लेकिन वह जैसे अन्य सनसनी. साथ मैं सलवार पर उसके उल्लू cupped उसे शुरू कर दिया और धीरे इसे करने के लिए मालिश. जब मैं उसके स्तन को छुआ वह कूद गया और बेकाबू खुशी जो वह सहन नहीं कर सकता छोटे से आगे मोड़. मैंने उससे पूछा - "उल्लू तो अपने आप की तरह इस Ponnu ... यह बहुत अच्छा लगता है ... पसंद है, मुझे संपर्क कर सकते हैं? "केवल hhmmmm" वह इस तरह से एक ध्वनि बनाया है. मैं उसके स्तन उसकी कमीज ऊपर उठा और उसे मालिश करना जारी रखा. मैं उसे फिर से पूछा - "मैं अपने" kameeze दूर करेगा. "... अब नहीं!" - वह नहीं चाचा मेरे विरोध करने के लिए नीचे की कोशिश की. समक्ष रखा सकता है वह कर धीरे से उसके सिर और स्री कुछ भी मैं उसे खींच लिया और जमीन कमीज उसे करने के लिए. वह स्तन भर उसकी बाहों को पार कर उसे और - जारी विरोध करने के लिए असहाय "उह ... नहीं ... चाचा, मैं" शर्मीली हूँ महसूस आवाज. उसका ध्यान के लिए किसी भी भुगतान के बिना, मैंने कहा - "यदि आप शर्मीली लगता है ..., अपनी आँखें बंद करो ... मैं अपने शरीर के सभी अब देखने के लिए जा रहा हूँ! धीरे धीरे मैं दूर स्तनों से उसके हाथ ले और उसे boobs के मुलायमित का आनंद लेने के लिए शुरू करो. वह वहाँ रखना आधे नग्न के साथ उसकी आँखों कसकर बंद, अगले जानने नहीं होने के लिए क्या जा रहा है. मेरी सांस भारी हो रही थी. मैं उसे चूमने के लिए जारी रखा और उसके स्तन squeezing ..., और फिर धीरे धीरे उन्हें अपने मुँह में ले लिया. "Aaahhh -" एक उसके मुंह से जोर से विलाप भाग निकले. मैं शुरू कर दिया ... बच्चे की तरह उसके स्तन चूसना करने के लिए एक, जीभ के साथ मेरी मैं उसके निप्पल ले और शायद ही इसे चबाना. वह यह बहुत अच्छी तरह का आनंद लिया, वह उसके दाँत के साथ उसके होंठ जकड़े को रोक लग रहा है उसे खुशी से आ रहे हैं. धीरे धीरे मेरे मुँह चाट चुंबन जबकि नाभि से ... मैं चाटना और वहाँ डाल दिया ... में यह मेरी जीभ, और घुमाया. यह और उसे नीचे ले जाया करने के लिए, उसके छोटे स्तन उसे सांस लेने की लय के साथ थे heaving. मैं धीरे धीरे गाँठ कोशिश सलवार को पूर्ववत उसका, अचानक वह मेरे हाथ पकड़ा और आवाज में एक डर फुसफुसाए - "नहीं चाचा ... नहीं ... नहीं ... अब मुझे यह करना नहीं है" उसे. अनदेखी विरोध चूमा मैं जारी रखा और धीरे धीरे मालिश जघन क्षेत्र. जल्द ही वह मेरे हाथ पर सुखद लग रहा है और उसे पकड़ महसूस आराम. वह धीरे से विलाप शुरू कर दिया. मैं वापस नीचे उसके हाथ डाल मेरे और थोड़ा लिफ्ट उसके कूल्हों से उसकी सलवार स्लाइड उसे ". वह फिर से विरोध असहाय," नहीं ... नहीं ... चाचा किसी को देंगे मुझे नंगा कर नहीं आते हैं! ... कोई Ponnu नहीं ". चिंता मत करो ... यहाँ मैं आ जाएगा यकीन है ... चिंता मत करो ..., मैंने उसे कहा कि मैं "देखभाल ले जाएगा कि शांति से slid उसके सलवार और पूरी तरह से बंद जाँघिया मैदान है. रखी है अब वह घास पर वहाँ पूरी तरह से नग्न. वह कसकर बंद उसके हाथ से उसकी आँखें शर्म उसे कवर करने के लिए, उसके मुंह से थोड़ा खुला है, उसका आकार नारंगी आकाश मुश्किल स्तनों heaving ऊपर और नीचे और उसके छोटे स्तन की ओर इशारा करते हुए, मैं. जघन क्षेत्र उसे देखा उत्सुकता है. उसे बिल्ली की दृष्टि कठोरता बनाता है मेरी अधिक. उसके कुंवारी बिल्ली होंठ जघन बाल के तहत एक दूसरे से फंस गए थे और उसे कसकर दबाया जांघों एक साथ. उसके clit है होंठों में बड़े छोटे आकार और बिल्ली उसके बस से बाहर झाँक बाल. मेरे उसके समोच्च करने के लिए गोल नीचे हाथ का पता लगाया और पेट में उसे जघन. मेरी उंगलियों के साथ उसके बाल पथपाकर, मैं उसे गुप्त slits पाया और उसके clit की सूजन टक्कर. मैं धीरे धीरे दबाया और आनंद घुंडी की मालिश उसे सूजन clit के बीच चुटकी और हल्के उंगलियों मेरी. वह खुशी जो वह सामना कर रहा है की वजह से उसके शरीर मरोड़ा. मैं अपनी उंगली ऊपर और नीचे उसे बिल्ली slits के माध्यम से भाग गया. वह अपने arousal के गर्म प्रवाह के साथ गया था और गीला भट्ठा एक थोड़ा फिसलन थी. मैं शायद ही नियंत्रण नहीं रख सका अपने आप को, बिल्ली मैं खुले उसके होंठ मेरे clit में उसे ले और मुँह है और चूसा. यह थोड़ा नमकीन लगा लेकिन एक जवान कुंवारी clit है कि स्वाद मुझे और अधिक उत्तेजित करते हैं. वह और उसके कूल्हों को हल्के ढंग से विलाप जमीन से ऊपर चले गए और एक परिपत्र गति में gyrated शुरू कर दिया. मैं में मेरी जीभ फिसल उसकी गहरी और चाटना और वहाँ सब खत्म चूसो. बुख़ार उसके शरीर भर में भाग गया और वह uncontrollably moaned. वह खुशी मुश्किल लहरों सकता है नहीं बढ़ते विरोध छोटी उच्च और उच्चतर में उसके शरीर. अचानक मेरे Ponnu जकड़े सिर दबाया और उसे बिल्ली उसे. एक ज़ोर "aaaahhhhh" आवाज के साथ कुछ सेकंड के बाद वह कुछ सेकंड के लिए अभी करना और आराम. वह अपने पहले संभोग था. हम थोड़ी देर के लिए आराम से, और फिर मैं उसे करने के लिए कहा - "यह कैसे था ... यू मज़ा आया? वह shyly हाथों से उसका चेहरा बंद कर उसे और अधिक ने कहा कि पूर्व में होना तय करने के लिए मैं hhmmmm -" "संकेत के साथ हरी है. मेरे गरीब मुर्गा पूरी तरह से किया गया था इसके बाद के संस्करण की कार्रवाई में नजरअंदाज कर दिया. मैं अपने शॉर्ट्स से दूर ले गया और रिलीज मेरे रॉक मुश्किल मुर्गा भड़के हुए. यह सह पूर्व मेरे साथ था सब चिपचिपा बिल्ली. उसे मैं उठा पैर रंग गुलाबी और देखा पर उसे. यह बहुत गीला था और उसके सह और अपने लार के साथ कवर किया. मैं फैला है Ponnu अलावा पैर और उसे की चोटी पर जाओ. तभी उसने महसूस किया कि मैं उसे कुछ और अधिक करने जा रहा हूँ. एक आश्चर्य का सामना उसने मुझसे पूछा - "के साथ क्या आप चाचा जा रहे हैं? "Ponnu ... चिंता मत करो. मैं बेहतर कर रहा हूँ इससे पहले कि आप ... था, तुम नहीं चाहते हो? तो मैं हाथ में अपने मुर्गा लिया और मेरे. यह ऊपर और नीचे नम भट्ठा में उसे ले जाया गया है "क्या चाचा हाथ में अपने?" वह धीरे से पूछा. मैंने उसका हाथ ले लिया और अपनी हार्ड सदस्य पर रखा, "यह मेरा मुर्गा है ... इससे पहले कि आप को देखने के इस तरह से किसी मुर्गा मैं? कहा नही ... मैं देख रहा हूँ एक परिपक्व पहले मुर्गा!" - वह यह हिचहिचाकर लगा और कभी नहीं कहा playfully. " . "मैं" हूँ छेद बिल्ली अपने में जा रहा करने के लिए इस डाल - मैं ने उस से कहा. "यह बहुत बड़ा और लम्बा होता है, आप कैसे वहाँ मेरे छोटे छेद डाल सकता है? - वो मासूम पूछा. "मुझे छोड़ कि पहले तुम ... ... थोड़ा दर्द होगा उसके बाद आप" स्वर्ग सकते हैं लगता है. मैं उसे बिल्ली छेद पर रखा और उसे अपने मुर्गा अंदर धीरे धीरे धक्का शुरू करने के लिए. मेरी मोटी डिक उसे प्रवेश करने में सक्षम नहीं था. के बाद कुछ अपने मुर्गा के सिर धक्का उसके सह में फिसल गई तंग छेद lubricated. "Aahhh ... चाचा इसे धीमी ... यह" दर्द हो रहा है - वह आवाज में एक दर्दनाक ने कहा कि मैं उसकी तरह के अंदर चले गए अपने मुर्गा सिर बनाने के लिए और बाहर में. उसकी छोटी बिल्ली बहुत तंग किया गया था. जल्द ही मैं आगे उसे हैमेन तक पहुँचे, उसके कौमार्य का प्रहरी. मैं, लेकिन तोड़ा प्रयास नहीं कर किसी भी अचानक यह प्रस्ताव जारी करने के लिए और fro करने के लिए सुखद बनाने के लिए उसे और अधिक. Ponnu करने के लिए गर्मी और खुशी महसूस हो रहा है उस पर आने लगे और धीरे विलाप - "अब यह अच्छा लग रहा है चाचा ... मुझे यह पसंद है ... aahhh .... यह है कि ... aaahhhh "की तरह ले जाएँ. मैंने फैसला किया, यह है उसके कौमार्य तोड़ने के समय के लिए नीचे. मेरे मैं दृढ़ता से ले उसकी बाहों सिर, डाल, मेरे मुंह में मेरे होठों को चूम ले और उसे दे दिया उसे एक भावुक. उसी समय मैंने उसे अपने मुर्गा में गहरा धक्का दे दिया. यह धीरे स्वर्ग में प्रवेश का मार्ग उसे तंग. ... जब उसे मैं तोड़ हैमेन के लिए शुरू होता है वह चीख - "aaayyyooooo ... चाचा हटायें !!..... यह ... oooooh. मैं बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है वहाँ ... यह हटा दें. ..., Aaayyyyyooooo!! "उसे अनदेखा कर चिल्लाती है, मैं जारी में करने के लिए कदम अपने मुर्गा में तंग और बाहर की उसके प्यार सुरंग तक दफनाया गया था उसे पूरी तरह अपने मुर्गा और हमारे जघन बाल अंतर अन्य प्रत्येक के साथ घुलमिल. मैं अपना सिर उठाया और उसे देखा. गरीब ponnu, वह खुली आँखों से झूठ बोल रहा था उसके मुंह और दर्द. उसके आँसू बह रहे थे ओर नीचे आँखें और साथ कराहना था वह. "क्या तुम अभी भी वहाँ दर्द लग रहा है?" मैंने पूछा. वह उसके सिर सिर हिलाया. "कोई चिंता करने की जरूरत भाग Ponnu ... दर्द खत्म हो गया है ... अब आप" खुशी के लिए जा रहे हैं महसूस करने के लिए स्वर्गीय - मैं उसे आश्वासन दिया और नम्रता से उसे चूमा आँखें. मैं recommenced में और आंदोलन बाहर मेरी. जब मेरी मुर्गा के प्रत्येक स्ट्रोक कौमार्य उसे फाड़ा किनारों के खिलाफ मला, वह moaned दर्द - "चाचा aaahhh ... ... धीरे धीरे" मैं वापस खींच लिया मेरी यह डाला और धीरे धीरे बिल्ली मुर्गा वापस करने की टिप उसे. कभी कभी मैं जल्दी कम स्ट्रोक और कभी कभी लंबे समय तक धीमी वालों दिया. मैं और मेरी लंबाई बदलती स्ट्रोक की गति को रखा. बाद में उसके moans आनन्ददायक में दर्दनाक दिया moans. उसकी कमर करने के लिए मुझे समर्थन है, और शुरू की लय में चाल में और आंदोलन बाहर मेरी. मैं उसके मुंह और खेला अंदर मेरी जीभ डाल दिया. उसी समय मैं धीरे से उसे बिल्ली के अंदर जा रहा था ऊपर और नीचे में. मेरे बालों सीने उसके स्तन दबाया. यह हमारे अद्भुत क्षण के लिए सच था. ... हम पाँच मिनट fucked के बारे में, अचानक ponnu मुझे जकड़े और शरीर दबाया उसके लिए मुझे कठिन है. उसके कूल्हों एक बुख़ारवाला गति और शुरू में चले गए बेतहाशा चीख. "... Aaahhhh, चाचा ... ॥ चलो चाचा ... ... oooooohhh तरह, कि .... ले जाएँ "मैं जल्दी पता था कि वह दूर था बहुत करीब आ रहा है और अब तक मैं था भी नहीं. मैं शुरू में उसे गहरा जोर, ramming उसे इतना कठिन है, हांफी वह शुरू किया, तो विलाप. वह आगे उसे वापस धनुषाकार और वापस जोर उसके सिर, उसकी आँखें कसकर बंद जीता और हम. सिहरन दोनों कांप रहे थे, और हमारे श्वास हाँफना में आ रहे हैं. एक ज़ोर की चीख वह तुरंत आया के साथ, उसके चेहरे और उसकी बिल्ली का जकड़न की अभिव्यक्ति मेरे संभोग भी बनाया है. मैं जारी अपने प्यार छेद आने में उसे धीमा. धीरे धीरे हमारी गति. हम दोनों अपनी आँखें खोली. हमारे होठों फिर से मिलने के लिए और मैं एक लंबे निविदा चुंबन चूमा. जल्द ही अपने मुर्गा नरम हो गया और उसके स्वर्गीय बकवास छेद से बाहर फ्लॉप. वह उसे बिल्ली के रखना वहाँ से और रक्त सह के साथ उसके पैरों के अलावा हमारे. मिक्स से बाहर oozed कौमार्य उसके बिखर और क्षेत्र के सभी कवर उसे जघन. थोड़ा आराम बाद हम उठकर एक दूसरे को साफ कर दिया. मुझे के रूप में करने के लिए कहा वह एक तौलिया मैं वहां गया था wiping के साथ उसे बिल्ली, "चाचा है कोई समस्या? कर रहा हूँ मैं दर्द!" "कुछ नहीं Ponnu ... यह सामान्य है ... के बाद कभी कभी तुम हो जाएगा" ठीक है हम उठकर उसके चारों ओर बदल गया मुझे करने के लिए. हाथों में मेरा चेहरा लो और उसके चुंबन उसे दिया एक तंग भावुक पेट. मेरे डिक उसे रगड़ रहा था. मैं उसके सीने पर हाथ डाल दिया और मेरे स्तन cupped उसे. वह उसकी छाती पर उठाया छोटे से बना और खेलने के लिए सुविधाजनक मेरे लिए उसे boobs. निपल्स pinched मैं उसे और कठिन बना यह. ... मैंने कहा - "काफी है ponnu बार भी हमें ले जाते हैं,?" पंप के पास छोटे तालाब में स्नान कमरे में ले गया हम तैयार है और. इससे पहले कि हम छोड़ दिया मैं उसे करने के लिए कहा - "Ponnu, तुम कल आ जाएगा करने के लिए तैराकी सीखा? उसने कहा

भोपाल २१अप्रेल२०१०